आजमगढ़:मनरेगा में महा घोटाला! ब्लॉक व सचिव की मेहरबानी से घर बैठे लाखों की कमाई
Azamgarh: Big scam in MNREGA! Earning lakhs from home due to the kindness of block and secretary
रिपोर्ट – जितेंद्र यादव
जीयनपुर/आजमगढ़ जिले के अजमतगढ़ ब्लॉक में भ्रष्टाचार की ऐसी गंगा बह रही है कि जिनके हाथ में विकास की कमान है, वही मलाई चाट रहे हैं। मामला बेरमा गांव का है, जहां मनरेगा योजना को लूट का अड्डा बना दिया गया है। मजेदार बात यह है कि गांव के प्रधान का पूरा परिवार—पति, ससुर, देवर और बाकी रिश्तेदार—सब ‘मजदूर’ बनकर सरकार से पैसा ऐंठ रहे हैं। और इस खेल के सूत्रधार बने हैं ब्लॉक के सचिव प्रदीप उपाध्याय, जिनके ‘सिग्नेचर जादू’ से प्रधान परिवार के खातों में लाखों रुपये ट्रांसफर हो रहे हैं।
बिना कुदाल उठाए मोटी कमाई
मनरेगा मजदूरी करने वाले असली गरीब तो अभी भी रोजगार के लिए भटक रहे हैं, लेकिन प्रधान जी के रिश्तेदारों को काम पर जाने की कोई जरूरत नहीं। कागजों में फर्जी हाजिरी लगती है, मजदूरी का पैसा सीधे खाते में आता है, और पूरा सिस्टम आंखें मूंदे बैठा है।
सबूत से हुआ खुलासा
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब 3 दिन पहले हुए भुगतान की लिस्ट सामने आई। इसमें साफ दिख रहा है कि सचिव प्रदीप उपाध्याय के हस्ताक्षर से प्रधान परिवार के सदस्यों के खातों में पैसे भेजे गए हैं। और यह पहली बार नहीं हुआ—यह खेल कई महीनों से जारी है, जिससे लाखों रुपये की हेराफेरी हो चुकी है।
कैसे चलता है यह गोरखधंधा?
• फर्जी जॉब कार्ड: प्रधान और उसके परिवार के नाम से मनरेगा में फर्जी कार्ड बनवाए गए।
• फर्जी हाजिरी: मजदूरों की सूची में नाम जोड़कर कागजों में काम दिखाया गया।
• ऑनलाइन घोटाला: डिजिटल लेन-देन के जरिए मजदूरी की रकम सीधा परिवार के खातों में भेजी गई।
• मिलीभगत: ब्लॉक के अधिकारी, ग्राम सचिव और प्रधान की सेटिंग से मामला दबा रहता है।
गांववालों का आक्रोश
गांव के असली मजदूर इस लूट से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है, “हम सुबह से शाम तक खेतों में पसीना बहाते हैं, फिर भी हमें मजदूरी नहीं मिलती, लेकिन प्रधान जी का परिवार घर बैठे मौज कर रहा है!” ग्रामीण अब इस घोटाले की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है—क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी, या फिर मामला हमेशा की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा ?