एसपी साइबर सेल लखनऊ त्रिवेणी सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश,तीन हज़ार रुपये हर्जाना भी लगा
विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट (मऊ) हर्ष अग्रवाल की अदालत ने लखनऊ के पुलिस आयुक्त को आदेश दिया है कि वह साइबर सेल के पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह को गिरफ्तार कर पेश करें(A court of Special Judge SC/ST Act (Mau) Harsh Agarwal has directed the Lucknow Commissioner of Police to arrest and produce Superintendent of Police (SP) of Cyber Cell Triveni Singh) मामला पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह के साक्ष्य के लिए कोर्ट में उपस्थित नहीं होने से संबंधित है। उनकी गिरफ्तारी के लिए गैरजमानती वारंट के साथ ही नोटिस भेजा है। इसके साथ त्रिवेणी सिंह पर तीन हजार रुपये हर्जाना लगाते करते हुए वेतन से काटकर न्यायालय में जमा करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी,मामला मऊ जिले के रायलखंसी थाना क्षेत्र का है। विशेष न्यायालय एससी/ एसटी के न्यायालय में थाना सरायलखंसी का एक मुकदमा स्टेट बनाम प्रवीण आदि विचाराधीन है। इसमें मामले के विवेचक रहे तत्कालीन क्षेत्राधिकारी त्रिवेणी सिंह, जो वर्तमान में साइबर सेल लखनऊ के पुलिस अधीक्षक हैं, का साक्ष्य अंकित होना है। उन्हें कोर्ट से कई बार सम्मन भेजा गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए।इसे गंभीरता से लेते हुए विशेष न्यायाधीश ने उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट के साथ नोटिस जारी किया है। विशेष न्यायाधीश ने पुलिस कमिश्नर लखनऊ को आदेश दिया कि त्रिवेणी सिंह के वेतन से तीन हजार रुपये की कटौती कर न्यायालय में जमा करें। ताकि साक्षी के साक्ष्य प्रस्तुत न करने के फलस्वरूप जो विलंब हुआ है, उसमें अभियुक्तगण की क्षतिपूर्ति की जा सके।विशेष न्यायाधीश ने पत्र में लिखा कि मामला 20 वर्ष पुराना है। इसका निस्तारण नहीं किया जा सका है। इसके लिए पूर्णरूपेण पुलिस विभाग व साक्षी जिम्मेदार है। यदि साक्षी नियत तिथि तक न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तो साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया जाएगा।The special judge ordered the police commissioner Lucknow to deduct Rs 3,000 from Triveni Singh’s salary and deposit it in the court. so as to compensate the accused for the delay which has resulted from the non-production of evidence by the witness.The special judge wrote in the letter that the case is 20 years old. It has not been resolved. The police department and the witness are fully responsible for this. If the witness does not appear in court by the due date, the opportunity to testify shall be terminated.