Azamgarh news:घर-घर पूजे गए मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश
रिपोर्ट:राहुल पांडे
आजमगढ़।शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानों से लेकर सभी घरों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की गई और सुख समृद्धि की कामना की गई। बताते चले की पांच दिवसीय त्यौहार धनतेरस के दिन से शुरू हो जाता है जो भाई दूज तक चलता है उसी के अंतर्गत रविवार को दीपावली के दिन शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सभी लोगों ने मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की और सुख समृद्धि की कामना की।वहीं बाजारों मेंगणेश लक्ष्मी की मूर्ति की दुकान पर, मीठा की दुकान पर व पटाखे की दुकान पर खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही जिससे जाम की स्थिति हमेशा बनी रही। वहीं स्थानीय पुलिस जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए समय-समय पर चक्रमण करती रही। पंडित पद्माकर मिश्रा ने बताया कि हिन्दू धर्म में दिवाली पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना करते हैं। बता दें की दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस के दिन से शुरू होती है और भाई भाई दूज के साथ खत्म हो जाती है। इन पांच दिनों में माता लक्ष्मी अपने भक्तों के वास करती हैं और उनकी प्रार्थनाएं सुनती हैं। किंदंतियों में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि दिवाली के दिन ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से विशेष फल मिलता है। लेकिन इनके साथ भगवान गणेश की पूजा माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम देवता के रूप में पूजा जाता है। इसलिए किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य होती है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी कार्य सफल होते हैं और उनका सकारात्मक फल व्यक्ति को प्राप्त होता है।
शास्त्रों में यह भी बताया गया है की दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय विष्णु जी की नहीं बल्कि गणेश जी की पूजा जरूर होनी चाहिए।किवदंतियों के अनुसार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से एक चर्चा करते समय यह कहा था कि मैं धन-धान्य, ऐश्वर्य सभी चीजों का वरदान देती हूं। मेरी कृपा से ही सभी भक्तों सुख की प्राप्ति होती है। ऐसे में मेरी पूजा सबसे सर्वश्रेष्ठ होनी चाहिए। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी के इस अहंकार को जान लिया और इसे तोड़ने का फैसला किया। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप भले ही सुख, समृद्धि प्रदान करती हैं, लेकिन किसी भी स्त्री को मातृत्व का सुख न मिलने से उसका नारीत्व अपूर्ण रह जाता है। इसलिए आपकी पूजा सर्वश्रेष्ठ नहीं मानी जा सकती है।यह बात सुनकर मां लक्ष्मी बहुत निराश हुईं और माता पार्वती के पास अपनी व्यथा सुनाने पहुंची। मां लक्ष्मी की पीड़ा को देखते हुए माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में सौंप दिया। इस बात से प्रसन्न होकर माता ने यह घोषणा की कि व्यक्ति को लक्ष्मी के साथ गणेश जी की उपासना करने से ही धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी। तभी से दिवाली पर पर माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है।