बिना गुरु के ज्ञान मिलना सम्भव नहीं स्वामी ईश्वरदास ब्रम्हचारी

अजीत कुमार सिंह बिट्टू जी

 

बलिया।जनपद के सर्वेश्वर मानस मंदिर चौकियां मोड़ के तत्वावधान में चल रहे पंच कुण्डीय अद्वैत शिव शक्ति महायज्ञ एवं हनुमान महोत्सव के तीसरे दिन अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां मठ के परिवज्रकाचार्य स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी ने चैत्र श्रीरामनवमी पूजा के मौके पर भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के बारे में विस्तार से चर्चा किया। कहा कि परमात्मा का तेज यदि अपने अस्तित्व पर आ जायेगा तो पृथ्बी,आकाश, तारे सभी लुप्त हो जायेंगे। कहा की भगवान श्रीराम का अवतार परमात्मा के रुप में होता है।

गुरु महिमा की चर्चा में कहा कि जो शिष्य गुरुदेव की आत्मा में अपने को नहीं जोड़ पाता है, वह मूल रास्ते से भटक जाता है। इस लिए धरती पर विना गुरु के ज्ञान मिलना सम्भव नहीं है।

 

 

कहा कि परमात्मा अजन्मा है। माता कौशिल्या के पेट में हवा भरा होता है। भगवान विष्णु धरती और आकाश के बीच कई रंगों के प्रकाश के बीच प्रकट होते हैं। फिर कौशिल्या के अनुरोध पर वे भगवान श्रीराम बालक का रुप लेते हैं। यहां पर मन शक्ति प्रभु के दर्शन के बाद काम नहीं करती है, फिर कौशिल्या को भगवान शक्ति प्रदान करते हैं और माता कौशिल्या के गोद में भगवान बालक के रुप में आ जाते हैं। सूचना पाकर खुशी में राजा दशरथ झूम उठते है। भगवान श्रीराम ने मर्यादा में रहकर अपनी अलौकिक लीला दिखाई, इस लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रुप में देखे जाने लगे।

 

बाबा ब्रह्मचारी ने नन्दरानी के घर भगवान श्रीकृष्ण के बालक रुप जन्म की चर्चा के साथ भगवान के अलौकिक महिमा की चर्चा विस्तार से की।

 

पं.प्रवीण कृष्ण जी महाराज ने कहा कि शिव पुराण में भगवान शिव के पार्थिव पूजन का बड़ा महत्व है। ब्रह्म हत्या से भी इंसान मुक्त हो जाता है। इस पूजन को करने से सभी पापों से मानव मुक्त हो जाता है। जो भगवान शिव के भष्म को धारण करता है, उससे 100 कोसों दूर भूत प्रेत भागते हैं। शिवपुराण के अनुसार कहा गया है कि एकमुखी रुद्राक्ष सर्व श्रेष्ठ माना गया है। वैसे 14 मुखी रुद्राक्ष का वर्णन किया गया है। शिव महापुराण में कहा गया है कि 14 मुखी रुद्राक्ष श्रेष्ठ ब्राम्बण से मंत्रोंच्चार के द्वारा पहनना चाहिए।

 

कहा कि भगवान की अलग अलग कलाएं होती है, जिसमें लोगो का अलग-अलग मत है कि कृष्ण 16 कला पूर्ण थे लेकिन भगवान राम 12 कला ही पूर्ण थे। रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम ने जन्म लेकर यह बताना चाहा है कि 9 का पहाड़ा जितनी बार पढें, उसके उत्तर की जोड़ 9 ही होगी। प्रमाण देते हुए कहा कि जैसे 9 से 3 गुणा करने पर 27 आयेगा, इसका जोड़ भी 9 हुआ। इस प्रकार ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने नवमी के दिन जन्म लेकर स्वयं को भी 16 कलाओं से पूर्ण सावित किया है।

 

पंच कुण्डीय अद्वैत शिव शक्ति महायज्ञ के तीसरे दिन यज्ञ मण्डप में यज्ञाचार्य पंडित रेवती रमण के निर्देशन में बैदिक मत्रोच्चार के बीच पूजा-पाठ, आरती का कार्यक्रम सम्पादित हुआ।

 

रामनवमी पर्व को अत्यन्त ही धूम-धाम से मनाया गया। सर्वेश्वर मानस मंदिर चौकियां मोड़ के मंदिर में भी भब्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस मौके पर भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के मौके पर पुड़ी, खीर, सब्जी का महाप्रसाद भी खिलाया गया।

 

प्रतिदिन यज्ञ मण्डप का कथा श्रवण करने वाले भक्त परिक्रमा में लीन देखे गए।

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