स्पर्श, दृष्टि और स्मरण से होता है समाज और बच्चों का विकास : मोहन भागवत

Touch, sight and memory lead to the development of society and children: Mohan Bhagwat

गुमला (झारखंड), 18 जुलाई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को झारखंड के गुमला जिले के बिशुनपुर में ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में ग्रामीणों को संबोधित किया।मोहन भागवत ने कहा, “एक बार मुझे सुनने को मिला कि जगत में तीन प्रकार से प्राणियों का पालन-पोषण होता है। एक मुर्गी जैसा, जहां मुर्गी अंडों पर बैठती है और उसकी गर्मी से अंडे से बच्चे बाहर निकलते हैं। दूसरा, मछली की तरह, जो पानी में अंडे देती है और उसे पानी में छिपा देती है। लेकिन मछली उन पर हमेशा नजर रखती है। और कुछ, कछुए की तरह होते हैं, जो अंडे समुद्र तल पर देता है। और रेत में उसे छुपा देता है। मगर उसे याद रहता है कि हमने अंडे को छुपाया है। और बाद में उस अंडे का विकास होकर बच्चा बाहर आता है।”
उन्होंने आगे कहा कि स्पर्श, दृष्टि और स्मरण से समाज और बच्चों का विकास होता है। उसी तरह कुछ लोग यहां बीच-बीच में आते रहते हैं। और हमारे जैसे लोग तो कभी-कभार आते हैं। मैं यहां 12 साल के बाद आया हूं। यहां 12 साल कुर्सी बदलती रही, लेकिन लोग नहीं बदले। यहां अभी भी कुछ भी बदलाव नहीं हुआ है।उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने कहा कि हमारे यहां आने से लोगों में उत्साह बढ़ता है। जो लोग काम कर रहे हैं, उन्हें मंच से बोलना चाहिए और हमें बैठकर सुनना चाहिए। आजकल हर कोई सेहत को लेकर परेशान है। हम यह नहीं देखते कि समाज में चारों ओर क्या हो रहा है, ऐसे लोग हैं जो समाज में काम कर रहे हैं जो प्रसिद्धि या नाम नहीं चाहते।उन्होंने कहा, “मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे यात्रा करने और ये चीजें देखने का मौका मिलता है। इसलिए, मैं कभी दुखी नहीं होता। मुझे कभी चिंता नहीं होती कि देश का क्या होगा क्योंकि हर कोई काम कर रहा है और हम भी वही कर रहे हैं।”

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