मानसून ने पकड़ी गति, खरीफ की बुआई में तेजी की उम्मीद
Monsoon gains momentum, Kharif sowing expected to accelerate
नई दिल्ली, 21 जून: भीषण गर्मी व सूखेे से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर है। मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने गति पकड़ ली है। यह महाराष्ट्र के कुछ और हिस्सों, विदर्भ के शेष हिस्सों और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है।
आईएमडी ने कहा कि मानसून छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ और इलाकों, पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के शेष हिस्सों और झारखंड के कुछ हिस्सों में भी आगे बढ़ गया है।
आईएमडी ने कहा, “अगले 3-4 दिनों के दौरान गुजरात के कुछ और हिस्सों, महाराष्ट्र के शेष हिस्सों, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।”
यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। मानसून के थमने के कारण धीमी पड़ी खरीफ की बुआई अब गति पकड़ लेगी।
इस वर्ष केरल में मानसून सामान्य तिथि से दो दिन पहले आ गया था तथा पूर्वोत्तर में छह दिन पहले पहुंचा था।
इसके बाद, मानसून की उत्तर दिशा में प्रगति धीरे-धीरे हुई तथा इसने केरल, कर्नाटक, रायलसीमा, गोवा और तेलंगाना, दक्षिणी महाराष्ट्र के अधिकांश भाग तथा छत्तीसगढ़, ओडिशा के कुछ भाग, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम के अधिकांश भाग तथा 12 जून तक पूर्वोत्तर के पूरे राज्यों को कवर कर लिया।
लेकिन, उसके बाद यह आगे नहीं बढ़ा। 18 जून को मानसून की ‘उत्तरी सीमा’ नवसारी, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, बीजापुर, सुकमा, मलकानगिरी तथा विजयनगरम से होकर गुजरी।
मानसून भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश की 50 प्रतिशत से अधिक कृषि भूमि वर्षा पर निर्भर है।
मानसून की बारिश देश के जलाशयों को रिचार्ज करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे वर्ष के अंत में फसलों की सिंचाई के लिए पानी का उपयोग किया जा सकता है।
भारत खाद्यान्नों के प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा है, लेकिन पिछले साल अनियमित मानसून के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित होने के कारण घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए उसे चीनी, चावल, गेहूं और प्याज के निर्यात पर अंकुश लगाना पड़ा।