“हर ‘ना’ ने मुझे मेरा ‘हां’ ढूंढना सिखाया” – रोज़लिन खान

“Her 'no' taught me to find my 'yes'” – Roselyn Khan

मुंबई:धमाचौकड़ी, सविता भाभी, जी लेने दो एक पल और क्राइम अलर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहीं अभिनेत्री रोज़लिन खान ने अपने अब तक के फिल्मी सफर को लेकर दिल से बातें साझा कीं। रॉज़लिन, जो एक गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से आती हैं, कहती हैं कि उनका हर संघर्ष, हर ठुकराया गया मौका, उन्हें खुद को बेहतर समझने और निखारने में मदद करता गया।

उन्होंने कहा, “मेरा बॉलीवुड का सफर एक सच्चे प्यार से शुरू हुआ—कहानियां कहने और परफॉर्म करने का जुनून। फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं आई थी, तो सब कुछ खुद से बनाना पड़ा। दरवाजे खटखटाने पड़े, अनगिनत ऑडिशन्स देने पड़े, धीरे-धीरे कनेक्शन बनाने पड़े। शुरुआत बहुत छोटी थी—कई बार ‘ना’ मिला, लेकिन हर ‘ना’ ने मुझे मेरा ‘हां’ ढूंढना सिखाया।”

रोज़लिन बताती हैं कि एक बाहरी के रूप में सबसे बड़ी चुनौती थी—पहुँच और गंभीरता से लिया जाना। “कई बार टैलेंट भी काफी नहीं होता। आपको अपनी लगातार मेहनत, काम के प्रति समर्पण, और धैर्य साबित करना पड़ता है। कई बार खुद पर शक भी हुआ, लेकिन वो भी मुझे आगे बढ़ने की ताकत देने लगा।”
अपने पहले ब्रेक को याद करते हुए वह कहती हैं, “सबसे मुश्किल था पहला मौका मिलना। इंडस्ट्री में कंपटीशन बहुत है और अक्सर डिसीजन मेकर सिर्फ जान-पहचान वालों को मौका देते हैं। लेकिन किसी ने मुझ पर भरोसा किया और वही एक मौका मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया।”

रोज़लिन ने यह भी स्वीकार किया कि इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच जैसी समस्याएं मौजूद हैं। वह कहती हैं, “अगर कोई कहे कि ऐसा कुछ नहीं है, तो वह झूठ बोल रहा है। मैंने भी कई बार असहज करने वाले अनुभव झेले हैं। लेकिन मैंने शुरुआत से ही स्पष्ट सीमाएं तय कर ली थीं। हां, ‘ना’ कहने से प्रोग्रेस धीमी हो सकती है, लेकिन मैं अपनी इज्जत से समझौता करके आगे नहीं बढ़ना चाहती थी।”
कैंसर से जंग जीत चुकीं रॉज़लिन अब अपने हर प्रोजेक्ट को एक तोहफा मानती हैं। उन्होंने कहा, “उस अनुभव ने मेरे करियर को एक नई गहराई और मकसद दिया। अब मैं काम करना चाहती हूं, कहानियां रचना चाहती हूं और लोगों को प्रेरित करना चाहती हूं।”

रोज़लिन ऐसे किरदारों की तरफ खिंचती हैं जो गहराई वाले, यथार्थपरक और यादगार हों। “चाहे ड्रामा हो, कॉमेडी हो या ग्रे शेड वाला रोल—मैं कुछ ऐसा निभाना चाहती हूं जो लोगों के दिल में रह जाए।”

OTT प्लेटफॉर्म्स को लेकर वह कहती हैं, “मुझे ओटीटी की दुनिया बहुत रोमांचक लगती है—यहां अच्छी स्क्रिप्ट होती हैं, दमदार किरदार होते हैं। लेकिन मैं वही काम करूंगी जो मेरी मर्यादा और सच्चाई से मेल खाता हो। सिर्फ बोल्डनेस दिखाने या चौंकाने के लिए मैं कुछ नहीं करूंगी। अगर कहानी की जरूरत हो और उसे संवेदनशीलता से दिखाया जाए, तो मैं एक्सप्लोर करने को तैयार हूं—लेकिन कभी भी अपनी आत्म-सम्मान की कीमत पर नहीं।”

रोज़लिन की यह यात्रा न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सच्चाई, मेहनत और आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ा जाए तो हर ‘ना’ एक दिन ‘हां’ बन ही जाता है।

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