अनवरत भविष्य के लिए अंतर-सांस्कृतिक संवाद आवश्यक है : यूनेस्को

Intercultural dialogue is essential for a sustainable future: UNESCO

बीजिंग: यूनेस्को की सहायक महानिदेशक गैब्रिएला रामोस ने एक वीडियो भाषण दिया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा हाल ही में सभ्यताओं के संवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना के प्रस्ताव को अपनाने का स्वागत किया गया।

 

 

 

 

उन्होंने बल देकर कहा कि अंतर-सांस्कृतिक संवाद अनवरत भविष्य की कुंजी है। गौरतलब है कि यह प्रस्ताव चीन द्वारा पेश किया गया है।

 

 

 

 

 

रामोस के अनुसार अंतर-सांस्कृतिक संवाद आपसी समझ, सहयोग और विश्वास निर्माण का एक साधन है। जलवायु परिवर्तन, महामारी, संघर्ष और बढ़ती सामाजिक और आर्थिक असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए और ऐसे समय में जब जेनोफोबिया, नस्लवाद और ध्रुवीकरण मानव समाज को नष्ट कर रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को “संयुक्त रूप से समाधान खोजने” की जरूरत है। अनवरत विकास हासिल करने और इन चुनौतियों का समावेशी और स्थायी रूप से समाधान करने के लिए “हमें एक साथ आने की जरूरत है।”

 

 

 

 

 

रामोस ने कहा कि सभ्यताओं के संवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना “संवाद की क्षमता का दोहन करने का अवसर” है। यह “मतभेदों के बीच पुल बनाने” में सक्षम है, जिससे सभी चुनौतियों को हल करने के साधन उपलब्ध होते हैं।

 

 

 

 

 

बता दें कि 7 जून को 78वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एकमत होकर सभ्यताओं के बीच संवाद के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस स्थापित करने के लिए चीन द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव को अपनाया और 10 जून को सभ्यताओं के बीच संवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया।

 

 

 

 

 

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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