कैसे आवे संस्कार मोबाइल में समय हो रहा बेकार

रिपोर्ट:भगवान उपाध्याय

कैसे आवे संस्कार मोबाइल में समय हो रहा बेकार।
कुछ समय पूर्व लोगों को अपने वातावरण के अनुसार रहने खाने और सोने की व्यवस्था के साथ रोग से निपटने के लिए आसन व्यायाम सूर्य नमस्कार शक्ति के लिए पूजा का ज्ञान गुरुकुल में बच्चों को बताया जाता था जिससे लोग अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम के बाद स्नान की शिक्षा दी जाती थी । विद्या पाने के लिए माता सरस्वती का बंदना कराया जाता था जिससे लोगों में सत्कार और संस्कार देखे जाते थे। महाभारत काल में बहुत ही भयानक युद्ध हुआ जो पुराणों में वर्णित है लेकिन महाभारत काल में भी धर्म युद्ध की बात कही गई है कहने का तात्पर्य यह हैं कि आज से 35 से 40 वर्ष पूर्व जब मोबाइल फोन का प्रचार प्रसार नहीं था उसे समय के मानव में और आज के समय में बड़ा ही बदलाव देखने को मिला है 35 से 40 साल पूर्व पुरुष वर्ग के लिए हर गांव में एक आंकड़ा हुआ करता था जहां पर लोगों को आत्मरक्षा एवं युद्ध की कला के साथ अपने से बुजुर्ग एवं बड़ों का आदर तथा नारी का सम्मान करने की शिक्षा दी जाती थी जिससे लोग ज्यादा दिनों तक जीवित रहते थे और साथ ही यदि किसी बात को लेकर दो लोगों में किसी बात को लेकर सुबह झड़प हो भी जाती थी तो शाम तक कुछ बड़े बुजुर्ग के कहने पर सुलह हो जाता था लेकिन आज के इस मोबाइल युग में सोशल मीडिया की तरह-तरह की पोस्ट ने लोगों को एक दूसरे के आदर की तो बात ही छोड़ दी जाए अपने माता-पिता को भी अलग रहने की शिक्षा दी जाती है सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट किया जा रहे हैं और उसे वीडियो का लाइक और कमेंट मिलियन में देखने को मिल रहा है इस पर ना तो किसी सामाजिक व्यक्ति का ध्यान है और ना ही सरकार का इस तरह के पोस्ट को अनसुना करने से आज हमारे समाज में संस्कारों पर काफी पाबंदियां देखने को मिल रही हैं आज का युवा ना तो गुरु को गुरु समझता है और ना ही अपने माता-पिता के प्रति आदर भाव भी उसके मन में आता है वैसे लोगों के मन में तो सिर्फ सोशल मीडिया की अपवाद बातें चलती रहती हैं जिससे वह व्यक्ति निरंतर कमजोर और ईर्ष्यालु प्रवृत्ति का होता जा रहा है और मनुष्य के मन में ईर्ष्या उत्पन्न होने से नाना प्रकार के दुख उत्पन्न होते हैं और उसे दुख का जनक भी वह व्यक्ति ही होता है जो सोशल मीडिया के आपत्तिजनक पोस्ट एवं अनावश्यक रूप की जो वस्तुएं समाज में सोशल मीडिया के माध्यम से परोस जाती हैं उसे देखकर उसे उद्मद हो जाता है और अंत में वह ना तो घर का होता है और ना ही इस समाज का क्योंकि उसका जीवन तो सिर्फ उस मृग के समान हो जाता है जिस प्रकार से मृग ना तो किसी प्रकार का ज्ञान होता है ना तो वह कोई तपस्या ही करता है और ना ही उसे किसी प्रकार का ज्ञान होता है यदि कह लिया जाए की वह विवेक सुना हो जाता है और विवेक शून्य मनुष्य केवल अपनी आकांक्षाओं को पाने के लिए नाना प्रकार की यत्न करते रहते हैं और उसे ना तो वह उसकी आकांक्षा ही पूरी होती है और ना ही सांसारिक सुख और अंत में वह अपने ऊपर संसार रूपी कलंक को लेकर इस संसार में विचलित करता रहता है। मनुष्य का जीवन बड़े अच्छे कर्म करने के बाद प्राप्त होता है अपने समय को व्यर्थ न जाने दे और मोबाइल फोन का आदि ना बने यदि हम मोबाइल का आज के आधुनिक युग में उपयोग भी करें तो सिर्फ उसके अच्छाई का उपयोग करें उसके वैज्ञानिक तथ्यों को पहचाने वैज्ञानिक ज्ञान को अर्जित करें और समाज में कुछ कर दिखाने का हौसला रखें जिससे हम और आने समय में जब हम इस संसार से चले जाएं तो हमारे कर्मों को सदा सदा के लिए याद किए जाएं सोशल मीडिया पर जो आपत्तिजनक पोस्ट दिखाएं जा रहे हैं उसे पर अंकुश लगाया जाए यह मेरी व्यक्तिगत आप सभी से राय है।

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