अपने मआशरे को दीनी तालीम से करो आरास्ता: मुफ़्ती रईसुल खैरी

हाजी अब्दुल वहाब चरमपोश रह. के आस्ताने पर हुआ जल्सा ईद मिलादुन्नबी                   

 

भदोही। मोहल्ला क़ज़ियाना शरीफ स्थित हज़रत हाजी अब्दुल वहाब चरम पोश रह. के 63वां सालाना उर्स के मौके पर जश्ने ईदमिलादुन्नबी का आयोजन किया गया। इस मौके पर हजरत अल्लामा व मौलाना मुफ़्ती रइसुल खैरी ने इस्लाही तकरीर करते हुए कहा अल्लाह पाक के नजदीक वह बन्दा सबसे ज्यादा पसंदीदा है जो गुनाहों से तौबा करके अपने दिल को पाक साफ करे। कहा जब दिल गुनाहों से दागदार व मैला हो तो तौबा करके नेदामत के आंसू बहा कर अपने दिल के मेल को साफ सुथरा कर लिया करो और अपने जिस्म को पाक साफ रखो। तो अल्लाह तुम्हे अपना महबूब बन्दा बना लेगा। उन्होंने अपने बिगड़ते हुए मआशरे पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि आज हमारा मआशरा बद से बदतर होता चला जा रहा है। हर घर बेनमाजी है कोई कुरआन को पढ़ने वाला नही है। बच्चे मोबाइलों में सारी-सारी रातें गुजार दे रहे हैं। हमारी मां बहने बेपर्दा होकर बाज़ारो में घूमती हुई नजर आ रही है गैरो के नजरों की शिकार हो रही है। अजान हो रही है हमारे बच्चे चाय पान की दुकानों पर गप्पा लगाते हुए नजर आ रहे हैं। कहा आज मुसलमान बदतरीन ज़िंदगी गुजार रहा है इसकी वजह है कि हमने नमाज पढ़ना छोड़ दिया है, हमने कुरआन को पढ़ना छोड़ दिया है। हमारी बदतरी की जिंदगी हमने खुद ही चुन लिया। आज पूरी दुनिया मे हमें हिकारत की निगाहों से देखा जा रहा है। कहा जब हम नमाज पढ़ते रहे, कुरआन पढ़ने वाले थे तब अल्लाह ने हमें हुक्मरानी अता की और जब हम कुरआन और नमाज व दीन की तालीमात से गाफिल हो गए तब अल्लाह ने हमारे ऊपर जालिम हुक्मरां मुसल्लत कर दिया आज हम दुनिया मे रुसवा होते हुए नजर आ रहे हैं। अपने मआशरे को दीनी तालीम से करो आरास्ता। कहा अपने मां बाप का फर्माबर्दार बनाओ अल्लाह के नेक बन्दों में अपना शुमार कर लो दुनिया पुकार उठेगी देखो मुसलमान जा रहा है देखो सादिक जा रहा है, देखो अमीन जा रहा है। मेम्बरे नूर पर शायर फ़ैयाज़ भदोहवी ने पढ़ा हसरत है बनाऊंगा उसे दिन का सिपाही, अल्लाह से मैं लखते जिगर मांग रहा हूँ पढा तो पूरा मजमा झूम उठा। आगाजे जलसा हाजी हाफिज परवेज अच्छे ने किया। मेम्बरे नूर पर जलवा अफरोज मेहमाने खुसूसी इमामे ईदगाह हाफिज अशफ़ाक़ रब्बानी रहे। इसी तरह शायर जावेद आसिम, हाजी आज़ाद खां, नेहाल हबीबी, आस मोहम्मद, असगर मुनव्वरी, एखलाक भदोहवी ने नाते सरवर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पढ़ी।

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