मृतक ने विपक्षियों पर मुकदमा कर पहुंचाया सलाखों के पीछे 

 

रिपोर्ट सुरेश पांडे

गाज़ीपुर।मृतक की तहरीर पर थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद केस में उसका बयान दर्ज कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस जांच पर सवाल खड़ा कर दिया।

न्यायालय ने कहा कि मरने के तीन साल बाद आखिर पुलिस ने उस शख्स की कैसे प्राथमिकी लिखी, कैसे बयान दर्ज किया और कैसे कोर्ट में चार्जशी दाखिल कर दी। क्या पुलिस अब भूत के बयान पर मुकमदा दर्ज कर रही है।

एक व्यक्ति के दो मृत्यु प्रमाण पत्र ने ऐसा बखेड़ा खड़ा किया कि इस मामलें में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुशीनगर पुलिस की जांच पर सवाल खड़ा कर दिया है।

यह मामला कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत महुआरी गांव का है। वहां पुश्तेनी जमीन जायदाद के लिए शब्द प्रकाश व पुरुषोत्तम में मुकदमा चल रहा था। उसके कागजात में शब्द प्रकाश को 2011 में ही मरने का मृत्यु प्रमाणपत्र लगा दिया गया था। इसका खुलासा इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे बहस के दौरान हुआ है।

जब कोर्ट को पता चला कि मृतक शब्द प्रकाश ने 27 अगस्त 2014 में अपने विपक्षी पुरुषोत्तम व उनके भाई जयनाथ सिंह के अलावा पुरुषोत्तम के दोनो पुत्र राजेश और भीम पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी। उसमें 419, 420, 467,468,471 धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज लगाना और धमकी देने की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया। लोग जेल भी गए थे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सौरभ श्याम की बेंच में जब यह मामला पहुंचा तो जज साहब भी हैरत में पड़ गए और उन्होंने पूछा कि पुलिस ने तीन साल पहले मर चुके आदमी का बयान कैसे लिया? और 3 साल पहले मर चुके व्यक्ति ने विपक्षियों पर मुकदमा कैसे दर्ज कर दिया। कहीं उसका भूत तो नहीं जो लोगों को परेशान कर रहा है।

पता चला कि दोनों मृत प्रमाण पत्र हाटा नगर पालिका से ही बनाए गए हैं। एक 19 दिसम्बर 2011 में बना है जबकि दूसरा 19 दिसम्बर 2016 में बना है। वही इस विषय पर जब एक पक्ष राजेश विश्वकर्मा पुत्र पुरुषोत्तम ने बताया कि अपने निजी स्वार्थ के लिए ही शब्द प्रकाश की पत्नी ने 2011 का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर दस्तावेजों में लगाया है। उन्होंने 2011 में बने मृत्यु प्रमाणपत्र भी दिखाया जो डिजिटल नहीं है। मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग हेतु जो आवेदन पत्र भरा गया था वह भी दिखाया जिसमें मृतक के भाई संत प्रकाश का हस्ताक्षर था। इस विषय पर मृतक के भाई संत प्रकाश ने बताया कि मेरे भाई की मौत 19 दिसम्बर 2016 को मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुई थी। उसके बाद हमने नगर पालिका हाटा से मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाया है। वर्ष 2011 में भरे गए मृत्यु प्रमाणपत्र मांग पत्र पर उनके किए गए हस्ताक्षर के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह मेरा दस्तखत नहीं है यह पूरी तरह से फर्जी है।

फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र के बारे में पूछने पर दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। जबकि वहीं हाई कोर्ट की आदेश पर हाटा कोतवाली पुलिस पुनः मामले की छानबीन में लगी हुई है। कुशीनगर पुलिस अधीक्षक संतोष मिश्रा ने बताया कि मृत्यु से जुड़े दो प्रमाण पत्र मिले हैं। सभी तथ्यों की जांच की जा रही है। अगर मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी पाया जाता है तो दोषियों पर कार्यवायी की जायेगी।

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