मन के हारे हार है, मन के जीते जीत:डॉ. मनीष त्रिपाठी

स्वस्थ रहिए, व्यस्त रहिए ,मस्त रहिए:कुलपति

आजमगढ़ बलरामपुर से बबलू राय

आजमगढ़। कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ के निर्देश एवं कुलपति प्रो.संजीव कुमार के मार्गदर्शन में आज विश्वविद्यालय परिसर में स्थित प्रशासनिक भवन के केंद्रीय पुस्तकालय हाल में विजय सुपर स्पेशलिटी हड्डी अस्पताल एवं मातृत्व आई.वी.एफ. सेंटर आजमगढ़ के सहयोग से योग दिवस 2025 का जबरदस्त आगाज हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो. संजीव कुमार एवं मुख्य अतिथि जनपद के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष त्रिपाठी रहे।वि. वि. के मीडिया प्रभारी डॉ. प्रवेश कुमार सिंह ने बताया कि आज विश्वविद्यालय में अद्भुत संयोग था। जनपद के प्रतिष्ठित हड्डी रोग विशेषज्ञ ने योग दिवस के पूर्व बॉडी मास इंडेक्स बी.एम.आई. टेस्ट द्वारा व्यक्ति अंडरवेट/ओवरवेट या वह मोटापे की किस श्रेणी में आता है इसका पता लगाकर स्वास्थ्य लाभ कर सकता है। साथ ही साथ उन्होंने बोन डेंसिटी परीक्षण हेतु तरह-तरह की जांच मशीनों द्वारा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, नॉन टीचिंग एवं टीचिंग स्टाफ की विधिवत जांच कर हड्डी में कैल्शियम फास्फोरस की मात्रा का पता लगाकर आपकी हड्डी कितना मजबूत और कितना कमजोर है इसका निर्धारण कर तथा लंबाई के हिसाब से आपका वजन खान-पान, रहन-सहन के बाबत जानकारी देकर छात्रों को आने वाली चुनौतियों के लिए स्वस्थ रहने का गुण सिखाए, भविष्य में आष्टियों पोरोसिस की क्या संभावना है ,इसकी भी जांच की गई। इसमें कम क्षमता की एक्स किरण का प्रयोग के माध्यम से आपकी बॉडी में कैल्शियम की मात्रा की भी जांच कर सबको स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने को कहा गया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डॉ. मनीष त्रिपाठी ने अपने आंशिक संबोधन में यह भी अवगत कराया की सारी समस्या का निदान हमारा स्वस्थ चित्त मन है, यदि हमारा मस्तिष्क स्वस्थ रहेगा एवं हम सभी फिजिकली फिट रहेंगे तो निश्चय ही पठन-पाठन अच्छा होगा, कहा गया है सबसे अच्छी निरोगी काया। डॉ.मनीष ने छात्र-छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उनसे सर्वप्रथम निरोगी काया के प्रति सजग रहने को कहा पठन-पाठन आवश्यक है लेकिन उससे ज्यादा आवश्यक है कि आपका तन और मन स्वस्थ रहे, स्वस्थ रहेंगे ,तो पठन-पाठन बेहतर तरीके से कर सकते हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद ने अपने संबोधन के माध्यम से योग की महत्ता को बताते हुए यह पीड़ा भी व्यक्त की कि प्रशासनिक दायित्व के बोझ तले कहीं ना कहीं हम अपनी दिनचर्या से समझौता कर लेते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि कहीं ना कहीं हम अस्वस्थ होते जाते हैं, परंतु अपने व्यस्त जीवन में भी यदि हम नियमित योग करें तो कई शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का समाधान स्वयंमेव हो जाएगा।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार ने कहा कि अगर हम अपनी दिनचर्या और खान-पान में निरंतरता बनाए रखें और भूख से एक रोटी कम खाएं तो निश्चय ही हम स्वस्थ रहेंगे। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि डॉ. मनीष जी ने जिन मुख्य बिंदुओं की तरफ हमारा ध्यान आकर्षित किया है उस पर तो हमें ध्यान देना ही होगा साथ ही यह जरूर याद रखें की योग निश्चय ही कई बीमारियों का स्थाई निदान है, यदि आप चाहते हैं कि हम पढ़ लिखकर नई बुलंदियां छुए तो उसकी पहली शर्त ही है कि आप स्वस्थ चित्त मन से रहे। विश्वविद्यालय शिक्षकों से उन्होंने पठन-पाठन में गुणवत्ता, छात्र सहभागिता, अनुसंधान, प्लेसमेंट जैसे अहम मुद्दों पर बिंदुवार विस्तार से चर्चा की। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर के वातावरण को ज्ञान, विज्ञान एवं अनुसंधान के साथ-साथ हमें भाव-प्रधान भी बनाना होगा, जिससे छात्र-छात्राएं कैंपस तन के साथ मन से भी अपना लें, हमारे शिक्षक गण यह भी ध्यान दें कि पठन-पाठन रसमय हो। सरल शब्दों में कहूं तो हमें प्रतिभाओं को प्यार व दुलार देना होगा बस आगे फिर देखिएगा यहां के छात्र और छात्राएं मंजिल स्वयं तय कर लेंगे। उन्होंने अपने जीवन के कई वृत्तांत सुनाकर लोगों को योग करने के लिए प्रेरित किया । अंत में मंद मंद मुस्कान के साथ यह आह्वान किया की स्वस्थ रहिए, व्यस्त रहिए और मस्त रहिए । कार्यक्रम के संयोजक प्रो. प्रशांत राय ने सभी आगंतुकों, छात्र-छात्राओं शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों के आगमन को प्रणाम करते हुए योग कला को ग्रहण करने का आह्वान किया । आगंतुकजनो का स्वागत प्रो. प्रशांत ,डॉ. प्रियंका ,डॉ .शुभम डॉ. त्रिशिका आदि ने माल्यार्पण कर किया।
कार्यक्रम में डॉ. मनीष त्रिपाठी के साथ आए हुए कई जूनियर डॉक्टर, कंपाउंडर, विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव एवं विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षक गैर शिक्षक कर्मचारियों के साथ-साथ कुलपति के सहायक भूपेंद्र पांडे ,विपिन शर्मा, मुलायम, धर्मेंद्र, अभिलाष, रत्नेश ,प्रियांशु आदि की गरिमामई उपस्थिति रही। संचालन डॉ.प्रवेश कुमार सिंह ने किया।

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