पति के दीर्घायु होने की कामना से महिलाओं ने रखा वट सावित्री व्रत

Women observe Vat Savitri Vrat to wish their husbands to live longer

बरहज देवरिया।नगर के थाना घाट स्थित वटवृक्ष के चारों ओर सोमवार को आस्था और परंपरा का संगम देखने को मिला। वट सावित्री व्रत सैकड़ों सुहागिन महिलाओं ने वटवृक्ष की 108 बार परिक्रमा कर अपने पतियों की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की। पूरे क्षेत्र में सुबह से ही वट सावित्री व्रत की धार्मिक और सांस्कृतिक छटा छाई रही।साड़ी से सजी, मांग में सिंदूर लगाए, मंगल सूत्र और चूड़ियों से सजी महिलाओं ने विधि-विधान से वटवृक्ष की पूजा की और कच्चे सूत की डोरी से पेड़ को 108 बार लपेटकर फेरे लिए। इस दौरान महिलाओं ने व्रत कथा भी सुनी व्रत सम्पन्न करवा रहे ब्राह्मण सोनु शुक्ल ने बताया कि वट सावित्री व्रत जेष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी सावित्री ने अपने तप, सतीत्व और सेवा के बल पर अपने पति सत्यवान को यमराज के पाश से मुक्त कराया था। यह व्रत स्त्री धर्म, निष्ठा और प्रेम की मिसाल है, जो नारी के संकल्प और बलिदान को दर्शाता है।ब्राह्मणों और व्रतधारी बुजुर्ग महिलाओं ने बताया कि इस दिन सुहागिनों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। व्रत के दौरान काले, नीले और सफेद रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। इन रंगों की चूड़ियां या फूल भी पूजा में नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि इन रंगों को अशुभ माना जाता है।साथ ही यह भी कहा कि जो महिलाएं पहली बार व्रत कर रही हों, उन्हें यह व्रत मायके में रहकर करना चाहिए। व्रत का संकल्प और पूजन सामग्री मायके से ही लाना शुभ होता है। इसके अलावा इस दिन व्रतधारी महिलाओं को पलंग या बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए, बल्कि ज़मीन पर शुद्ध आसन पर विश्राम करना चाहिए।आस्था और परंपरा की गूंज से गूंज उठा सुबह से ही पुरे क्षेत्र का माहौल भक्तिमय बना रहा। महिलाओं ने अपने पारंपरिक वस्त्रों में सजकर, सोलह श्रृंगार कर, श्रद्धा भाव से व्रत किया। वटवृक्ष की छांव में आस्था का दृश्य देखते ही बनता था। परिक्रमा करते समय महिलाएं मन ही मन अपने पति की दीर्घायु, घर में सुख-समृद्धि की कामना करती रहीं।वट सावित्री व्रत एक ऐसा पर्व है, जो भारतीय स्त्री शक्ति की आस्था, प्रेम और दृढ़ निष्ठा का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक परंपरा का निर्वाह करता है, बल्कि परिवार की सुख-शांति और पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम व सामंजस्य का संदेश भी देता है।

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