कांग्रेस की सरकार ने संविधान को तोड़ने-मरोड़ने का किया काम:: प्रभारी मंत्री
मंत्री एके शर्मा ने आपातकाल के बंदियों को किया सम्मानित
भदोही। यूपी सरकार के मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री एके शर्मा ने कहा कि आपातकाल के 50 साल पूरे हो गए। 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था। मिसा जैसे काले कानून के जरिए राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया था। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया था।
उक्त बातें मंत्री श्री शर्मा बुधवार को नगर के नेशनल इंटर कॉलेज में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं। वें कॉलेज में भाजपा द्वारा आयोजित कांग्रेस के लोकतंत्र पर कुठाराघात के 50 वर्ष के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के लिए आए थे। उन्होंने कहा कि 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा घोषित आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय रहा। श्री शर्मा ने कहा कि आज कार्यक्रम के दौरान आपातकाल के बंदियों को सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार द्वारा संविधान को तोड़ने-मरोड़ने का काम किया। कांग्रेस आज संविधान संविधान की बात कर रही है। जेब में संबंधित लेकर कांग्रेस के नेता घूम रहे हैं। उनका वह संविधान खोखला है। उसके अंदर कुछ भी नहीं है। यह लोग नौकरी की बात करते हैं। जबकि आपातकाल के कुछ साल बाद 30 हजार कर्मचारियों को उनकी सरकार के द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था। श्री शर्मा ने कहा कि इनकी सरकार में एक करोड़ 7 लाख लोगों का रातोंरात नसबंदी कर दिया गया था। यह लोग गरीबी की बात करते हैं। जबकि गरीबों को आने वाली नस्लों को इनके द्वारा रोकने का काम किया गया। भाजपा की सरकार ने देश के 25 करोड़ गरीबों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के उपरांत चुनाव हुई। जिसमें कांग्रेस बूरी तरह से परास्त हुई। यहां तक कि इंदिरा गांधी रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव हार गई थी। मंत्री ने कहा कि आज के कार्यक्रम के दौरान लोगों को लघु फिल्म दिखाकर इमरजेंसी की त्रासदी से रुबरू कराया गया।
इस मौके पर सांसद डॉ.विनोद कुमार बिंद, विधायक औराई दीनानाथ भास्कर, विधायक ज्ञानपुर विपुल दुबे, भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक मिश्र, काशी प्रांत के क्षेत्रीय मंत्री आशीष सिंह बघेल, जिला महामंत्री लालता प्रसाद सोनकर, गोवर्धन राय, विनीत बरनवाल, अरुण राय मुन्ना व मनीष पांडेय आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहें।