मध्य प्रदेश में निगम-मंडलों की नियुक्ति पर सब की नजर
All eyes on appointment of corporate boards in Madhya Pradesh
भोपाल, 28 जून: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद अब सब की नजर आगामी निगम-मंडलों की नियुक्ति पर है। सत्ताधारी दल भाजपा के जो नेता विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं या चुनाव जीतने के बावजूद मोहन यादव की मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा सके, अब अपना सियासी रसूख बढ़ाने के लिए निगम-मंडलों में बड़ी जिम्मेदारी पाने के लिए लालायित हैं।
राज्य में वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद की कमान डॉ. मोहन यादव के हाथ में आई और उन्होंने पद संभालने के लगभग तीन माह बाद 50 निगम-मंडलों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को हटाते हुए इकाइयों को भंग कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव करीब आ गए और नियुक्तियां नहीं हो पाईं।
अब लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और निगम-मंडलों सहित विभिन्न बोर्ड तथा आयोग में पद पाने के हकदार नेताओं की सक्रियता धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। जिस भी दावेदार की प्रभावशाली नेता से करीबी है उसने संबंधित नेता से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी है।
राज्य के सियासी हालात पर गौर करें तो बीते एक साल के दौरान कई विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली और कुछ तो भाजपा के टिकट पर चुनाव भी जीते हैं। इसके अलावा कई पूर्व प्रभावशाली नेताओं ने भी भाजपा का दामन थामा है। इस तरह दल-बदल करने वाले नेता भी दावेदारों में शामिल हैं।
भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि वर्तमान में निगम-मंडल, और बोर्ड तथा आयोग का पद चाहने वालों की बहुत लंबी सूची है। एक तरफ पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता हैं, तो दूसरी तरफ दल-बदल कर भाजपा में आए नेता। दल-बदल करने वालों ने भी पार्टी की बड़ी मदद की है। लिहाजा उन्हें भी महत्वपूर्ण पदों पर समायोजित करना जरूरी हो गया है। अब देखना होगा कि पार्टी और सत्ता से जुड़े लोग किस तरह का समन्वय स्थापित करते हैं।