भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर हलचल तेज,राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा जल्द संभव

There is a lot of commotion regarding the post of BJP President, announcement of National President is possible soon

भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को छह राज्यों में अपने संगठनात्मक अध्यक्षों का चयन कर लिया। इसके साथ ही पार्टी के आंतरिक चुनावों की प्रक्रिया अब तक 22 राज्यों में पूरी हो चुकी है। यह कदम भाजपा के संविधान के उस प्रावधान को भी पूरा करता है, जिसके तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम 19 संगठनात्मक राज्यों में अध्यक्षों का निर्वाचन अनिवार्य होता है।

मंगलवार को जिन राज्यों में अध्यक्षों का निर्विरोध चुनाव हुआ, उनमें महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। इन नियुक्तियों में भाजपा ने संगठन में लंबे समय से काम कर रहे, सामाजिक दृष्टिकोण से स्वीकार्य और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के निकटस्थ नेताओं को प्राथमिकता दी है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की उलटी गिनती शुरू

भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा अब जल्द होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद पार्टी एक वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करवाएगी। सूत्रों के अनुसार, नए अध्यक्ष का नाम जुलाई के दूसरे सप्ताह तक तय हो सकता है।

वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, जिन्हें जनवरी 2020 में तीन साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था, का कार्यकाल कई बार बढ़ाया गया। पहले 2024 के आम चुनावों के मद्देनज़र, फिर संगठनात्मक चुनावों की वजह से उन्हें विस्तार मिला। इस प्रकार वे भाजपा के अब तक के सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले अध्यक्ष बन चुके हैं।

उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में स्थिति असमंजस में

जहाँ एक ओर कई राज्यों में चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो गई है, वहीं उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में अध्यक्ष पद को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। खासकर उत्तर प्रदेश में, आगामी 2027 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी सामाजिक समीकरणों को साधने में लगी है। माना जा रहा है कि वहां का अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के बाद ही तय किया जाएगा।

संघ की भूमिका decisive, नाम वही फाइनल होगा जिसे ‘संघ’ की मुहर मिलेगी

राज्यों में जिन चेहरों को संगठन की कमान सौंपी गई है, उससे संकेत मिलते हैं कि भले ही कई नाम चर्चा में हों, लेकिन अंतिम निर्णय उसी नाम पर होगा जिसे RSS का समर्थन प्राप्त होगा। संघ इसे केवल नेतृत्व परिवर्तन नहीं, बल्कि आगामी वर्षों की राजनीतिक दिशा और संगठन की रणनीतिक योजना के रूप में देखता है।

संक्रमण काल से गुजर रही भाजपा

2024 लोकसभा चुनावों में सत्ता में वापसी के बावजूद पूर्ण बहुमत की कमी और कुछ राज्यों में हार ने भाजपा को आंतरिक आत्ममंथन के दौर में पहुंचा दिया है। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि पार्टी के पुनर्गठन और भविष्य की रणनीति का अहम हिस्सा बन गया है।

नए अध्यक्ष से भाजपा की तीन बड़ी अपेक्षाएं:

1. संगठनात्मक मजबूती: ऐसा नेता जो पार्टी कैडर से जुड़ा हो और बूथ स्तर तक संवाद स्थापित कर सके।

2. राजनीतिक संतुलन: वरिष्ठों और युवाओं, पुराने और नए चेहरों, विभिन्न सामाजिक वर्गों में संतुलन बना सके।

3. चुनावी कौशल: 2026-27 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, जिसमें नए अध्यक्ष की भूमिका निर्णायक होगी।

 

संभावित नाम और रणनीतिक संतुलन

नए अध्यक्ष को लेकर जिन नामों की चर्चा हो रही है, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री, वरिष्ठ सांसद और कुछ क्षेत्रीय नेता शामिल हैं। पार्टी क्षेत्रीय संतुलन, जातीय समीकरण और राजनीतिक संदेश को ध्यान में रखकर फैसला ले सकती है। यदि दक्षिण भारत को प्राथमिकता दी गई तो कर्नाटक या तेलंगाना से कोई नाम सामने आ सकता है। वहीं यदि उत्तर भारत में पार्टी के कमजोर होते आधार को मज़बूत करना प्राथमिकता बनी, तो किसी अनुभवी नेता को अध्यक्ष पद दिया जा सकता है। गौरतलब हो कि भाजपा का अध्यक्ष चयन महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि वैचारिक स्पष्टता, रणनीतिक गहराई, और राजनीतिक दिशा तय करने की प्रक्रिया है। यह बदलाव भाजपा के भविष्य — खासकर 2029 लोकसभा चुनाव — की नींव रखेगा। जब दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी अपना नेतृत्व बदलती है, तो उसके दूरगामी निहितार्थ होते हैं।

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