भक्त राज जटायु की कथा का कराया रसपान।

Devotee King got the taste of Jatayu's story

बरहज/ देवरिया।पुराने हनुमान मंदिर पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री राम कथा में कानपुर से पधारी हुई, सुश्री साध्वी निलेश शास्त्री ने भक्त राज जटायु के साहस की कथा श्रद्धालुओं को सुनते हुए कहा कि एक समय ऐसा आया जब त्रिलोक विजेता रावण से जटायू सीता की रक्षा के लिए युद्ध के लिए तत्पर हुआ पंचवटी से माता जानकी का हरण हो चुका था भगवान राम लक्ष्मण जानकी जी की खोज कर रहे थे और काग मृग पशु पक्षीयो एवं वृक्ष की लताओं से सीता के बारे में भगवान राम पूछ रहे थे गोस्वामी जी रामचरितमानस में लिखते हैं कि प्रभु श्री राम विरही के भेष, ब्लॉक करते हुए हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी तुम देखी सीता मृगनयनी, आगे पूछत चलेउ लता तरू पाती,तब लछुमन समुझावा बहु भातिं। उधर रावण सीता माता का हरण कर ले जा रहा था वैदेही बिलाप करते हुए जा रही थी सीता का विलाप सुनकर जगत जगत के चराचर जीव दुखी होते लेकिन सीता की रक्षा करने वाला कोई नहीं था क्योंकि रावण आकाश मार्ग से ले जा रहा था ऐसे में गिद्धराज में सीता के विलाप को सुनकर रावण जैसे प्रतापी से सीता को छुड़ाने का प्रयास किया गिद्धराज सुनी आरती वानी रघुकुल तिलक नारि पहिचानि,
क्रोध में भरकर गिद्धराज जटायु ने रावण मार्ग रोक दिया और रावण को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर अपने कुटुंब सहित जीवित रहना चाहते हो तो सीता को वापस पहुंचा दो गोस्वामी जी के अनुसार रावण के न मानने पर जटायु जी ने अपनी चोच के प्रहार से रावण को मूर्छित कर दिया त्रिलोक विजेता रावण को लगा मैं जटायु से नहीं जीत सकता है रावण ने जटायु के पंख अपनी तलवार से काट दिया बेचारा जटायु पृथ्वी पर गिर पड़ा इधर प्रभु श्री राम लक्ष्मण सीता की खोज करते हुए जटायु जी के राम नाम के रटन को, को सुनकर भक्त राज जटायु के पास पहुंचे, जटायु जी ने सीता हरण की पूरी कथा बताइए भगवान श्री राम ने जटायु जी को अगर अमर करने की बात कही जटायु जी ने कहा प्रभु यह मेरा सौभाग्य है कि मेरी मृत्यु के समय आप सम्मुख खड़े हो जिसको पाने के लिए बड़े-बड़े ऋषि मुनि जीवन पर्यंत तपस्या करते हैं फिर भी आप नहीं मिलते इससे बड़ा मेरे लिए अच्छा क्या होगा जटायु जी के मरने के बाद जटायु जी का अंतिम संस्कार भगवान ने अपने कर कमलो से किया। कथा के दौरान हनुमान मंदिर के मंहत श्री 1008 के श्री मारूति जी महाराज उर्फ त्यागी बाबा, सीमा शुक्ला, राम आशीष यादव, रामाशंकर यादव, रामायण यादव, उमेश चंद चौरसिया, सोनू भारद्वाज, चंद्रभान तिवारी, रमाशंकर, श्याम सुंदर दास, प्रभाकर शुक्ला सीमा देवी ,शकुंतला मिश्रा, उर्मिला देवी, रीता देवी ,अनीता देवी, जवंती देवी, कुसुम ,सरिता देवी, बदामी देवी, सहित नगर एवं क्षेत्र के सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे।

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