हनुमान जी की पावन कथा का श्रद्धालुओं को कराया रसपान।
बरहज/देवरिया।त्यागी जी हनुमान मंदिर पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री राम कथा में कानपुर से पधारी हुई, सुश्री साध्वी
निलेश शास्त्री, हनुमत चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि श्री हनुमान जी ने पांच लोगों के प्राणों की रक्षा की जिस समय प्रभु श्री राम सीता के बिरह में बन घूम कर खोज कर रहे थे हनुमान जी के मिलन के बाद हनुमान जी ने जानकी जी का पता लगाकर प्रभु श्री राम की रक्षा की थी किसी प्रकार जब जानकी जी राम के वियोग में त्रिजटा से, अग्नि की याचना कर रही थी और अशोक वृक्ष से अग्नि मांग रही थी ऐसे समय में हनुमान जी ने पहुंचकर भगवान के पवन कथा को सुना कर माता जानकी जी के प्राणों की रक्षा की लंका के समरांगढ़ में राम रावण युद्ध के बीच जब मेघनाथ ने लक्ष्मण जी को शक्ति मेरी और लक्ष्मण जी धराशाई हो गए अचेत अवस्था में भूमि पर पड़े हुए थे ऐसे में हनुमान ने लक्ष्मण को उठाकर भगवान की गोद में लाकर रख दिया और लक्ष्मण को जलाने के लिए उन्होंने भगवान से कहा कि अगर लक्ष्मण जी जीवित नहीं होते हैं तो मैं अपना प्राण निकालकर लक्ष्मण के शरीर में प्रवेश कर दूंगा लेकिन सुषेन वद्य द्वारा बताए गए औषधि को, लाकर हनुमान जी ने लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की वही जब 14 वर्ष अंतिम दिवस पर भरत की राम के वियोग में चीता सजाकर भगवान के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे और प्रतिज्ञा किया था कि सूर्यास्त से पहले प्रभु नहीं आए तो चीता में जलकर अपने आप को भस्म कर लूंगा ऐसी स्थिति में हनुमान जी आए और भरत को बताया कि प्रभु श्री राम सीता और लक्ष्मण सहित रावण की संपूर्ण राक्षस सेना का विनाश कर, सकुशल अयोध्या, आ रहे हैं इसको सुनकर मानो भरत के शरीर में प्राण का संचार हो गया सबकी रक्षा के साथ-साथ उन्होंने पूरे अवध की प्रजा की रक्षा की और प्रभु श्री राम को सब कुशल लेकर हनुमान जी वापस आए इसीलिए कहा गया है कि हनुमान जी से बड़ा कोई राम भक्त नहीं हुआ।
कथा के दौरान हनुमान मंदिर के मंहत श्री 1008 के श्री मारूति जी महाराज उर्फ त्यागी बाबा, सीमा शुक्ला, राम आशीष यादव, रामाशंकर यादव, रामायण यादव, उमेश चंद चौरसिया, सोनू भारद्वाज, चंद्रभान तिवारी, रमाशंकर, श्याम सुंदर दास, प्रभाकर शुक्ला सीमा देवी ,रजवंती देवी, कुसुम ,सरिता देवी, बदामी देवी, सहित नगर एवं क्षेत्र के सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे।