डब्ल्यूआईपीओ संधि भारत, वैश्विक दक्षिण के लिए एक बड़ी जीत : मंत्रालय

WIPO treaty India, a big victory for global South : Ministry

नई दिल्ली, 26 मई : बौद्धिक संपदा, आनुवंशिक संसाधनों (जीआर) और संबंधित पारंपरिक ज्ञान (एटीके) पर विश्‍व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) की संधि, वैश्विक दक्षिण के देशों और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय यह बात रविवार को कही।

 

 

 

 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह संधि सामूहिक विकास हासिल करने और एक स्थायी भविष्य का वादा पूरा करने की यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, जिसका भारत ने सदियों से समर्थन किया है।

 

 

 

 

इसमें कहा गया है, “पहली बार स्थानीय समुदायों और उनके जीआर और एटीके के बीच संबंध को वैश्विक आईपी समुदाय में मान्यता मिली है।”

 

 

 

 

यह संधि न केवल जैव विविधता की रक्षा और संरक्षण करेगी, बल्कि पेटेंट प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाएगी और नवाचार को मजबूत करेगी।

 

 

 

 

इस संधि के माध्यम से आईपी प्रणाली सभी देशों और उनके समुदायों की जरूरतों का जवाब देते हुए अधिक समावेशी तरीके से विकसित होते हुए नवाचार को प्रोत्साहित करना जारी रख सकती है।

 

 

 

यह संधि भारत और वैश्विक दक्षिण के लिए भी एक बड़ी जीत का प्रतीक है, जो लंबे समय से इस उपकरण का समर्थक रहा है।

 

 

 

 

दो दशकों की बातचीत और सामूहिक समर्थन के बाद 150 से अधिक देशों की आम सहमति से इस संधि को बहुपक्षीय मंचों पर अपनाया गया है।

 

 

 

 

इस समय केवल 35 देशों में किसी न किसी रूप में प्रकटीकरण दायित्व हैं, जिनमें से अधिकांश अनिवार्य नहीं हैं और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए उचित प्रतिबंध या उपाय नहीं हैं।

 

 

 

 

मंत्रालय ने कहा, “इस संधि के लिए विकसित देशों सहित अनुबंध करने वाले पक्षों को पेटेंट आवेदकों पर मूल दायित्वों के प्रकटीकरण को लागू करने के लिए अपने मौजूदा कानूनी ढांचे में बदलाव लाने की जरूरत होगी।”

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