आजमगढ़:मुर्दों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता कर पत्रकारों के सामने उजागर किया परिवार रजिस्टर व भू अभिलेखों में जिंदा व्यक्ति को मुर्दा करने वाले सरकारी कर्मचारियों का कारनामा

रिपोर्ट:रोशन लाल
बिलरियागंज आजमगढ़

मुबारकपुर थाना क्षेत्र के अमिलो गांव निवासी मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल बिहारी यादव मृतक ने प्रेसवार्ता में कहा कि मार्टीनगंज तहसील क्षेत्र के सुरहन गांव निवासी फिरतू राजभर (63) 35 वर्ष से तहसीलों व चकबंदी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं और कुछ सरकारी कर्मचारियों के रहमों करम से भू-राजस्व अभिलेखों में वह मृत घोषित हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1976 से ऐसी समस्या से पीड़ित लोगों की लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने विधायक सांसद और सरकार पर जमकर बरसते हुए कहा कि आज तक किसी भी सरकार या जनप्रतिनिधि, मंत्री ने जीवितों को मृतक दिखाकर फर्जीवाड़ा करने वालों सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा व राज्यसभा में आवाज तक नहीं उठाई। न ही कोई कानून बनाने का प्रस्ताव दिया। सरकार निष्पक्ष जांच करे तो तमाम प्रकरण सामने आएंगे। 18 वर्षों तक संघर्ष करने के बाद लाल बिहारी ने खुद को सरकारी अभिलेखों में जिंदा घोषित कराया। लाल बिहारी के जीवन पर कागज नामक फिल्म भी बन चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि लाल बिहारी मृतक की कहानी बड़ी दिलचस्प है लाल बिहारी को जुलाई 1976 में जीवित रहते हुए भी सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया गया था।
खुद को जिंदा घोषित करने के लिए उन्होंने 18 वर्षों तक संघर्ष किया। तब जाकर जिला प्रशासन ने इन्हें 30 जून 1994 में पुनः जिंदा घोषित कर दिया लेकिन तब तक लालबिहारी मृतक ने प्रशासन की पूरी कलई ही खोल कर रख दी थी। लाल बिहारी के चाचा ने इनकी जमीन हड़पने के लिए सरकारी मुलाजिमों को घूस देकर मृत घोषित करवा दिया था। खुद को जिंदा साबित करने के लिए लाल बिहारी ने दर दर की ठोकरें खाईं, ढेर सारे हथकंडे अपनाए, खुद का श्राद्ध किया,‘विधवा’ पत्नी के लिए मुआवजा तक मांग लिया। यहां तक कि 1989 में राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव तक लड़ने को खड़े हो गए। इसके पहले 1988 में उन्होंने इलाहाबाद संसदीय सीट से पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था। लंबी अदालती लड़ाई के बाद आखिरकार 1994 में पूरे 19 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इन्हें इंसाफ मिला। इस दौरान उन्हें 100 ऐसे लोगों के बारे में पता चला जिन्हें जिंदा रहते ही मृत घोषित कर दिया गया। उन्हें भी इंसाफ दिलाने के लिए ‘मृतक संघ’ की स्थापना की। लाल बिहारी खुद इस संघ के अध्यक्ष हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button