Deoria news: योगीराज अनंत महाप्रभु की जयंती पर विशेष
बरहज/ देवरिया।अनंत पीठ आश्रम बरहज के प्रथम पीठाधीश्वर अनंत महाप्रभु का जन्म लखनऊ के सहादतगंज मोहल्ले के निवासी सुनंदन बाजपेई तथा बलिराजी देवी जो कान्य कुंज ब्राह्मण थे,। उनके घर संवत 1836 अनंत चतुर्दशी तिथि भाद्रपद शुक्ल पक्ष में एक बालक का जन्म हुआ माता-पिता ने बालक का नाम अनंत रखा परिवार पूर्ण रूप से संपन्न था बालक अनंत बढ़ता गया अनंत ने मां से आज्ञा लिया और अध्ययन के लिए काशी चले आए अध्ययन काल में अनेक विद्वान पंडित शास्त्रज्ञ लोगों से परिचय के पश्चात पुनः घर गए वहां यह ज्ञात हुआ कि कोई अंग्रेज अधिकारी ने उनके बाग के मोर को मार दिया, वह अधिकारी दूसरे दिन भी बाग में आया अनंत ने उस अधिकारी को ही मार गिराया और अज्ञात स्थान को चल पड़े देशाटन करते हुए पूरा भारत भ्रमण किया तीर्थ में भी गए तथा संवत 1852 में पुनः संस्कृत पढ़ने काशी आ गए साधु बना था साधु की तरह रहते भी थे अध्ययन के पश्चात इसी देश में साधुओं की जमात में रहने लगे तथा घूमते हुए गुप्त रूप से अयोध्या जाकर बाबा लाल दास जी के यहां रहने लगे 5 वर्ष निवास करने के बाद बाबा लाल दास जी के साथ बरहज आए।
अनंत अनंत महाप्रभु बन गए अनंत ने प्रसिद्ध बेचू साहू के सूखने बगीचे में डेरा डाल दिया बेचू साहू उस समय धनी बनियों में थे बेचू साहू ने स्वयं आकर अनंत महाप्रभु से प्रार्थना की और यहीं रुकने के लिए कहा अनंत महाप्रभु बेचू साहू के बगीचे में रुक गए बेचू साहू अनंत महाप्रभु के लिए दूध और फलहार की व्यवस्था की अनंत महाप्रभु बाग में जमीन खोदकर एक गुफा तैयार की उसे गुफा में साधना रत रहने लगे और अपने को गुफा तक ही सीमित कर लिया 24 घंटे में केवल एक बार 1 घंटे के लिए अनंत महाप्रभु गुफा से बाहर आते थे अनंत महाप्रभु योग क्रिया भली भाँति जानते थे और उन्हें श्रीमद् भागवत का 18000 श्लोक कंठस्थ था ।
जिस बगीचे में अनंत महाप्रभु रहते थे वह बगीचा धीरे-धीरे हरा भरा हो गया जिसकी ख्याति चारों तरफ फैल गई।
अनंत महाप्रभु की , ख्याति सुनकर उस समय विश्व के प्रसिद्ध पहलवान प्रोफेसर राम मूर्ति बरहज आए और अपने साथ दो, पहलवानों को भी लेकर आए एक दिन सायंकाल गुफा के पास उनकी योग क्रिया की परीक्षा लेने पहुंचे राममूर्ति ने महाप्रभु से अनुरोध किया महाराज सुना है कि आप अपने पैर का अंगूठा योग बल से ऐसा संचारित करते हैं कि उसे कोई रोक नहीं पता उसे मैं देखना चाहता हूं और अंगूठे को रोकने आया हूं क्योंकि मैं भी योग क्रिया के द्वारा ट्रक रोकता हूं अपने सीने पर लगा हुआ ट्रक आर पार कर देता हूं मुझे यह सुनकर कौतूहल हो रहा है कि आप अपना अंगूठा चलावे और मैं उसे रोकूंगा।अनंत महाप्रभु ने कहा कि राम मूर्ति आपकी विश्व में बड़ी प्रतिष्ठा है योग प्रदर्शन की वस्तु नहीं है आप अपना यह विचार त्याग दें परंतु अत्यधिक उत्सुकता को देखकर महाप्रभु ने कहा आप नहीं अपने साथ के इन दोनों पहलवानों से कह दे मेरे अंगूठे को रोक दें अनंत महाप्रभु ने अंगूठा चलाया दोनों पहलवान अंगूठे को छू भी नहीं सके और झटका खाकर गिर पड़े अनंत महाप्रभु का अंगूठा रोक नहीं पाए फिर अनंत महाप्रभु ने अपना अंगूठा स्वयं रोक लिया गुफा से वापस जाने के बाद राम मूर्ति का बयान अखबार में छपा बरहज आश्रम में अनंत महाप्रभु अद्भुत योगी है तथा जितना बल उनके अंगूठे में है, अनयत्र मुझे देखने को नहीं मिला।
महाप्रभु के जीवन की कुछ लीलाएं अद्भुत है जो विवश करती है यह सोचने के लिए कि वे साधक थे, सिद्ध थे मिलने वाला व्यक्ति यह जान नहीं पाता था, कि हमारे सामने जो निश्चल सहज काया दिखाई दे रही है यह अनंत शक्तियों से युक्त दैवी शक्ति है।
एक बार साय काल कस्बे के ही, बैजनाथ अग्रवाल की माता एवं उनकी पत्नी महाप्रभु के दर्शन के लिए आई उन लोगों ने बात ही बात में यह कहा कि महाराज जी आप सरयू स्नान को नहीं जाते हैं, विभिन्न पर्वों पर लोग स्नान करने जाते हैं महाप्रभु का उत्तर था मैं नहीं जाता हूं मुझे मां सरयू स्नान करने स्वयं चलकर आती है जिज्ञासा बस लोगों ने कहा कि महाराज जी दिखाइए अनंत महाप्रभु में गुफा द्वारा बंद करने का इशारा किया थोड़ी ही देर में अनंत महाप्रभु की गुफा सरजू के जल से भर गया लोग चिल्लाने लगी बचाइए, लोग डूब रही थी जरा सी तेज आवाज आई और सब कुछ ठीक हो गया महाप्रभु ने कहा कि मां अपने बेटे से मिलने आई थी।
महाप्रभु के घटना का उल्लेख करना चाहते हैं कि पैकौली में यज्ञ किया और उन्होंने पालकी भेज कर अनंत महाप्रभु को बुलवाया वहां उनके रुकने की व्यवस्था एक पीपल के वृक्ष की छांव में छोटा सा टेंट लगाकर किया गया था जब वहां महाप्रभु पीपल के वृक्ष की तरफ चले तो लगता था कि पिपल जड़ से उखड़ कर भाग जाना चाहता है जबकि कहीं कोई आंधी नहीं थी लोग आश्चर्यचकित थे जेवही यह पीपल के वृक्ष के पास पहुंचे खड़ाऊ निकाल कर पैर के अंगूठे से वृक्ष की जड़ को दबा दिया वृक्ष शांत हो गया उपस्थित लोगों ने पूछा महाराज जी हम लोग डर गए थे यह क्या उपद्रव हो रहा था उत्तर था कुछ नहीं एक शापित आत्मा थी जो मुक्ति चाहती थी हो गई सब ठीक है आप लोग जज्ञ करे यज्ञ के बाद महाप्रभु अपने आश्रम चले आए।बरहज में महाप्रभु की तपस्या लगभग 39 वर्ष चली गुफा में तप योगी का जीवन और साधारण दैवी , शक्तियों को अनेक शिष्यों ने अनुभव किया या तो उनके निकट रहने वाले लोगों ने।इस वर्ष 5 ,6 और 7 सितंबर को अनंत महाप्रभु की 239 में जयंती मनाई जाएगी।अमरदीप आश्रम बरहज का युग युग जलता जाए।अंधकार पीडि़त मानव को संबल मिलता जाए।
अनंत महा प्रभु जयंती महोत्सव पर समस्त आश्रम परिवार एवं शिक्षण संस्थानों की तरफ से जयंती पर शत-शत नमन।