गाज़ा के भूखे लोगों की मदद रोकने पर इजरायल की आलोचना तेज
Israel faces criticism for blocking aid to starving Gazans
गाज़ा के लिए खाद्य सामग्री और मानवीय मदद लेकर जा रहे 40 छोटे जहाज़ों को गुरुवार को इजरायली नौसेना ने समुद्र में रोक दिया। इन जहाज़ों में 400 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणविद और विभिन्न देशों के सांसद सवार थे, जिनका उद्देश्य केवल गाज़ा के भूखे और पीड़ित लोगों तक राहत पहुँचाना था। लेकिन इजरायल ने इन्हें बलपूर्वक रोककर अपने कब्जे में ले लिया।हिरासत में लिए गए लोगों में स्वीडन की जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल हैं। सोशल मीडिया पर साझा वीडियो में देखा जा सकता है कि ग्रेटा थनबर्ग इजरायली सैनिकों से घिरी हुई हैं। ग्रेटा के पहले से रिकॉर्ड किए गए संदेश में कहा गया है कि उन्हें और अन्य कार्यकर्ताओं को अपहृत कर इच्छा के विरुद्ध अज्ञात स्थान पर ले जाया जा रहा है। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवता के खिलाफ बताया।
मानवीय मदद पर युद्धपोतों की नाकेबंदी
गाज़ा पहुँचने से पहले ही इजरायली युद्धपोतों ने इन जहाज़ों को चारों ओर से घेर लिया और जबरन अशदोद बंदरगाह ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस कार्रवाई की दुनिया भर में कड़ी आलोचना हो रही है, क्योंकि यह पूरी तरह अहिंसक मानवीय अभियान था, जिसका उद्देश्य केवल गाज़ा में भूख और संकट झेल रहे नागरिकों तक मदद पहुँचाना था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा
तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इजरायल की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। फ्लोटिला में शामिल 24 तुर्क नागरिक भी हिरासत में लिए गए हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने मांग की है कि सभी हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए। उनमें पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के पौत्र निकोसी ज्वेलिवेली मंडेला भी शामिल हैं।दुनिया के कई हिस्सों – इटली, ग्रीस, आयरलैंड, कोलंबिया और तुर्किये – में लोग सड़कों पर उतरकर इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और गाज़ा के नागरिकों के समर्थन में आवाज बुलंद कर रहे हैं।
मानवीय सवाल खड़ा करता इजरायली रवैया
गाज़ा में जहां बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग लगातार भूख और कुपोषण से जूझ रहे हैं, वहीं राहत पहुँचाने वालों को रोकना और हिरासत में लेना इजरायल के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े करता है। दुनिया भर में यह मांग उठ रही है कि गाज़ा तक मानवीय सहायता निर्बाध पहुँचाई जाए और इजरायल को अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए।