जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने किया जिला कारागार का निरीक्षण।
विनय मिश्र, जिला संवाददाता।
देवरिया ।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देवरिया के तत्वावधान में जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देवरिया श्री देवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मनोज कुमार तिवारी, जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल, पुलिस अधीक्षक श्री विक्रांत वीर तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती मंजू कुमारी द्वारा जिला कारागार, देवरिया का औचक निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान उन गरीब बंदियों के मामलों पर विचार-विमर्श किया गया, जो जमानत राशि या जुर्माना भरने में असमर्थ हैं। इस संबंध में आवश्यक विधिक कार्रवाई हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया। जनपद न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि जो भी बंदी रिहाई के पात्र हैं, उनकी नियमानुसार रिहाई की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।
निरीक्षण के दौरान न्यायाधीश ने पाकशाला, चिकित्सालय तथा बैरकों का निरीक्षण किया और कारागार परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के निर्देश दिए। साथ ही, महिला कैदियों के साथ रह रहे छोटे बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था सुनिश्चित करने के विशेष निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी ने महिला बंदियों के साथ रह रहे बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मनोज कुमार तिवारी ने कहा कि ऐसे बंदी, जिनकी जमानत न्यायालय से स्वीकृत हो चुकी है, किंतु जमानतदार के अभाव में कारागार में निरुद्ध हैं, उनके संबंध में प्राप्त प्रार्थना पत्रों पर विचार कर आवश्यक कार्रवाई हेतु अधीक्षक, जिला कारागार को निर्देश दिए गए।
संयुक्त समिति द्वारा कारागार में निरुद्ध बंदियों की समस्याएं सुनी गईं, जिनमें निःशुल्क विधिक सहायता, जमानतदार की उपलब्धता, नियमित रूप से आवश्यक दवाओं की आपूर्ति सहित अन्य आवश्यक मुद्दों पर निर्देश दिए गए।
सचिव/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मनोज कुमार तिवारी ने निर्देशित किया कि ऐसे बंदी, जो एक माह से अधिक समय से कारागार में निरुद्ध हैं और आर्थिक रूप से असमर्थ हैं, उनके मामलों को जिला स्तर पर गठित “अधिकार प्राप्त समिति” के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार आवश्यक धनराशि की संस्तुति कर न्यायालय में जमानत राशि या जुर्माना जमा कराया जाए, जिससे समयबद्ध रूप से उनके प्रकरणों का निस्तारण हो सके।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती मंजू कुमारी ने कारागार में बंदियों की सुरक्षा एवं उनके अधिकारों की रक्षा हेतु संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।