Deoria news:कर्मयोगी बनो क्योंकि कर्म ही जीवन का धर्म है आचार्य बृजेश मणि, त्रिपाठी

कर्मयोगी बनो क्योंकि कर्म ही जीवन का धर्म है, आचार्य बृजेश मणि त्रिपाठी।

देवरिया।
ग्राम तेलिया कला में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवत कथा का रसपान कराते हुए आचार्य बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि कर्मयोगी बनो केवल सोचने से कुछ नहीं होगा कार्य करने से ही फल मिलेगा
मनुष्य का कर्तव्य केवल सोचने या योजनाएँ बनाने तक सीमित नहीं है। जब तक विचार को कर्म में परिवर्तित नहीं किया जाता, तब तक कोई परिणाम नहीं मिलता। जैसे बीज बोए बिना फल नहीं उगता, वैसे ही कर्म किए बिना सफलता नहीं मिलती।_
गीता का सन्देश (अध्याय 2, श्लोक 47):कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में कभी नहीं। इसलिए कर्म करने से मत हट निष्क्रियता में आसक्त मत हो।सोचो अवश्य, पर रुकना नहीं।कर्म ही साधना है, कर्म ही पूजा है।जो कर्म करता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है।इसलिए “कर्मयोगी बनो, क्योंकि कर्म ही जीवन का धर्म है।”
कथा के दौरान कथा के मुख्य यजमान विजय प्रताप सिंह ,श्रीमती आनंदी सिंह ,सुरेश सिंह ,सुरेंद्र सिंह, चंद्रभूषण सिंह ,अरुण कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह, सत्य प्रकाश सिंह, सत्येंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह ,अनुराग सिंह सहित क्षेत्र एवं गांव के भागवत कथा के श्रद्धालु जन काफी संख्या में उपस्थित रहे ।

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