सोमी अली: “चुप्पी का मतलब है सहमति,भारत को घरेलू हिंसा का सामना सीधे करना होगा
Somy Ali: “Silence means consent, India must confront domestic violence head-on”
Mumbai:अक्टूबर का महीना डोमेस्टिक वायलेंस अवेयरनेस मंथ (Domestic Violence Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है — यह उन खामोश लड़ाइयों की याद दिलाता है, जो दुनिया भर में सर्वाइवर आज भी लड़ रहे हैं। अभिनेत्री से कार्यकर्ता बनीं सोमी अली, जो अमेरिका स्थित एनजीओ नो मोर टियर्स (No More Tears) की संस्थापक हैं, का मानना है कि भले ही जागरूकता बढ़ी है, लेकिन खासकर भारत में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।सोमी कहती हैं, “मछली सिर से सड़ती है — यह कहावत दुनिया के हर देश के कानून और व्यवस्था पर लागू होती है। पहले जो बातें फुसफुसाकर कही जाती थीं, अब #MeToo और सर्वाइवर की आवाज़ों के कारण वैश्विक आंदोलन बन चुकी हैं। भारत में PWDVA कानून एक प्रगति है, लेकिन बॉलीवुड के ‘फिक्सर’ अब भी पीड़ितों की आवाज़ दबा देते हैं। कलंक (stigma) आज भी मौजूद है, और जब तक पुलिस व न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार खत्म नहीं होता, तब तक भारत सच्चाई से प्रेरित महाशक्ति नहीं बन सकता।सोमी ने 2007 में नो मोर टियर्स की स्थापना की थी। तब से यह संस्था 50,000 से अधिक घरेलू हिंसा और मानव तस्करी के पीड़ितों को बचा चुकी है। संस्था तत्काल मदद के रूप में सुरक्षित आवास, चिकित्सा सहायता, कानूनी मदद और थेरेपी प्रदान करती है। कई मामलों में अंतरराष्ट्रीय घरेलू हिंसा शामिल होती है, जहाँ भारतीय या विदेशी दुल्हनें विदेशों में प्रताड़ना का शिकार होती हैं। डिस्कवरी+ की सीरीज़ Fight or Flight ने इन कठोर सच्चाइयों को उजागर किया और कई मामलों में सीधे हस्तक्षेप, जैसे एयरपोर्ट पर तस्करी की शिकार लड़कियों की बचाव कार्रवाई, को संभव बनाया।सोमी कई ऐसी कहानियाँ याद करती हैं जो उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं — एक पंजाबी युवक जिसे समलैंगिक होने पर सिर कलम करने की धमकी मिली थी और अब वह स्वतंत्र जीवन जी रहा है; एक जॉर्डन की सर्वाइवर जिसे उसके अत्याचारी पति ने पढ़ने नहीं दिया, पर उसने आगे चलकर फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ में पीएचडी हासिल की; और एक 19 वर्षीय दिल्ली की लड़की जिसे तस्करी से बचाया गया था। सोमी बताती हैं, “जब उस लड़की ने अपनी माँ को फोन किया और उसने रोते हुए कहा, ‘मेरी बच्ची ज़िंदा है,’ वह पल आज भी मेरे दिल में गहराई से बसा है।नो मोर टियर्स अमेरिका के नेशनल एनजीओ रजिस्ट्री फॉर ह्यूमन ट्रैफिकिंग में पंजीकृत है और यह मियामी पुलिस विभाग, एफबीआई तथा भारत की कई एनजीओज़ के साथ मिलकर काम करती है। संस्था पीड़ितों को रेस्ट्रेनिंग ऑर्डर दिलाने, पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराने और कानूनी सहायता प्रदान करने में मदद करती है। एयर इंडिया जैसी एयरलाइंस के साथ साझेदारी के कारण तस्करी की शिकार लड़कियों को सुरक्षित रूप से उनके परिवारों तक पहुँचाने में बड़ी मदद मिली है।सोमी ‘फिक्सर’ कहे जाने वाले उन लोगों के खिलाफ सख्त रुख रखती हैं जो अपराधियों को बचाने और जवाबदेही से भागने में मदद करते हैं। उनका मानना है कि सच्चा न्याय तभी संभव है जब व्यवस्था पारदर्शी हो।सोमी के लिए उम्मीद उन सर्वाइवर्स में दिखती है जो तमाम कठिनाइयों के बाद भी अपनी ज़िंदगी दोबारा संवार लेते हैं। वह मानती हैं कि यह काम भावनात्मक रूप से बेहद थकाने वाला है, लेकिन उनके अपने जख्म ही उनकी ताकत हैं। वह कहती हैं, “आशा, सर्वाइवर्स की जीत में झलकती है। एक trafficked लड़की का अब स्वतंत्र और सफल जीवन मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है। मेरे अपने जख्म मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत देते हैं — क्योंकि चुप्पी का मतलब है सहमति।”
आगे की योजनाओं में सोमी अपना टॉक शो The Uncomfortable Conversation शुरू करने की तैयारी में हैं, जो उन मुद्दों पर प्रकाश डालेगा जिन्हें समाज अक्सर नज़रअंदाज़ कर देता है। “नो मोर टियर्स के माध्यम से ब्रह्मांड जवाबदेही की मांग कर रहा है। लोकलांधवाला की गलियों से लेकर वैश्विक मंच तक, मैं भारत के भ्रष्टाचार-मुक्त भविष्य के लिए अपनी लड़ाई जारी रख रही हूँ,” वह कहती हैं।