सीरत कपूर बोलीं:‘दीवाली सिर्फ दीपों की नहीं, दिलों की रौशनी का त्योहार है’

Seerat Kapoor said-'Diwali is not just a festival of lamps, it is a festival of light in hearts'

Mumbai :दीवाली की असली रौशनी हमारे भीतर होती है, और उसे एक-दूसरे के साथ बाँटने में ही इस त्योहार का सच्चा अर्थ छिपा है,” सीरत कपूर कहती हैं, दिवाली पर अपने परिवार से मीलों दूर होते हुए  कैसे खुशी मानती है,दीपावली, यानी रौशनी का त्यौहार, भारत के सबसे प्यारे त्योहारों में से एक है। यह त्योहार बचपन की यादों, परिवार के साथ बिताए पलों और प्यार से सजे घरों की खुशबू लेकर आता है। अभिनेत्री सीरत कपूर बताती हैं कि यह त्योहार उनके लिए क्या मायने रखता है, और कैसे वह काम में व्यस्त रहने के बावजूद इसके असली भाव को अपने जीवन में बनाए रखती हैं।

सीरत कहती हैं, “मेरे लिए दीवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्यार, आभार और आत्मिक शांति का प्रतीक है।”

अपने बचपन की यादें ताज़ा करते हुए सीरत बताती हैं, “बचपन में दीवाली जादू जैसी होती थी। मैं अपनी माँ के साथ घर सजाती थी, रंगोली बनाती थी, नए कपड़े पहनने का इंतज़ार करती थी और अपने कजिन्स के साथ खूब मस्ती करती थी। हर तरफ़ हँसी, मिठाइयों की खुशबू और एक खास सी खुशी होती थी।”वह आगे कहती हैं, “इन सब हँसी-खुशियों के बीच हमेशा पापा की याद आती थी। उनका साथ अब नहीं है, लेकिन उनकी यादें आज भी दिल में ज़िंदा हैं। मैं मानती हूँ कि वो हमेशा हमारे साथ हैं, हमें आशीर्वाद देते हुए।”कई बार शूटिंग के कारण सीरत को दीवाली घर से दूर मनानी पड़ती है, लेकिन उन्होंने अपने तरीके से उस रोशनी को जिंदा रखा है।“कई बार मैं काम के कारण दिवाली पर घर नहीं जा पाती, लेकिन फिर भी मैं उस माहौल को अपने आसपास बना लेती हूँ। सेट पर दीये जलाती हूँ, मिठाइयाँ बाँटती हूँ और परिवार से वीडियो कॉल पर पूजा करती हूँ। छोटी-छोटी परंपराओं को निभाने में एक अलग ही सुकून मिलता है। चाहे मैं परिवार के साथ रहूँ या फिल्म की टीम के साथ, मैं कोशिश करती हूँ कि हर जगह दीवाली की रोशनी और खुशी बाँट सकूँ।”सीरत के लिए दिवाली आत्म-चिंतन और नई शुरुआत का समय भी है। “यह समय होता है मन को साफ करने, नए सिरे से शुरुआत करने और सकारात्मकता से भर जाने का। दिवाली का असली मतलब है वो रौशनी जो हम एक-दूसरे के साथ बाँटते हैं। मैं जहाँ भी रहूँ, उसी भावना को जिंदा रखने की कोशिश करती हूँ, क्योंकि असली रौशनी हमारे भीतर से निकलती है।”

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इस साल सीरत कपूर अपने प्रियजनों के साथ दीवाली मनाने की तैयारी कर रही हैं। उनके शब्द हमें याद दिलाते हैं कि दिवाली सिर्फ दीपों की नहीं, बल्कि साथ होने, यादों को सँजोने और आभार से भरे दिल की भी होती है।उनकी बातों में वही सच्ची भावना झलकती है — दिवाली सिर्फ अंधकार पर प्रकाश की जीत नहीं, बल्कि उस साथ और प्यार की गर्माहट है जो हमारे दिलों की रौशनी को हमेशा जगाए रखती है।

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