Deoria news:सूर्य उपासना पर विशेष

सूर्य उपासना पर विशेष,
सूर्य उपासना का अनुपम लोक पर्व। , पं विनय मिश्र
देवरिया।
छठ पर्व षष्टी पूजा, कार्तिक शुक्ल पक्ष में हिंदू जनमानस के द्वारा मनाए जाने वाले सूर्य उपासना का अनुपम लोक पर्व है इस पर्व के बारे में ऋग्वेद में वर्णित सूर्य पूजन एवं उषा पूजन आर्य परंपरा के अनुसार मनाया जाता है छठ पूजा का अनुष्ठान कठोर है चार दिनों की अवधि में मनाया जाते हैं इसमें पवित्र, सूर्य उपासना पर्व पर स्नान उपवास और पानी पीने से दूर रहना लंबे समय तक पानी में खड़ा होना भगवान सूर्य को, जल देना है। सूर्य उपासना छठ पूजा का पौराणिक और लोक कथाएं भी विभिन्न शास्त्रों में वर्णित है रामायण के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्य देव की आराधना की सप्तमी को सूर्योदय के समय अपना अनुष्ठान कर सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया महाभारत काल में मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की , कण भगवान सूर्य के परम भक्त थे प्रतिदिन घंटे कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को जल देते थे सूर्य देव की कृपा से ही वे महान योद्धा बने आज भी छठ के दिन जल दान की यही पद्धति प्रचलित है। कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रौपदी द्वारा अभी सूर्य उपासना करने का उल्लेख है अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य उपासना करती थी पुराणों के अनुसार, एक कथा आति है कि राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने पुत्र यज्ञ कर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र रत्न प्राप्त हुआ परंतु वह मृतक पैदा हुआ प्रियवद पुत्र को लेकर स्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे इस वक्त ब्रह्मा जी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि के मूल प्रवृत्ति से छठे अंश में उत्पन्न होने के कारण मै षष्ठी, कहलाती हूं
हे राजन आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के लिए प्रेरित करें राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी, का व्रत किया और उन्हें पुत्र र त्न की प्राप्ति हुई इसलिए यह पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्टी को प्रारंभ हुई थी मां पार्वती का छठा रूप भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहारों की देवी के रूप में पूजा जाता है यह चंद्र के छठे दिन काली पूजा के 6 दिन बाद छठ मनाया जाता है।और गोवर्धन पूजा के भैया दूज के तीसरे दिन से यह व्रत आरंभ होता है पर्यावरणविदो का दावा है कि छठ सबसे पर्यावरण अनुकूल हिंदू त्यौहार है यह पर्व नदी तालाब पोखरे, पर किया जाता है यह त्यौहार समस्त भारतीय लोगों में लोक पर्व एवं आस्था का केंद्र बन चुका है।

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