Deoria news: हर जीव के अंतःकरण में ईश्वर विद्यमान है आचार्य बृजेशमणि त्रिपाठी

हर जीव के अंतःकरण में ईश्वर विद्यमान है, आचार्य बृजेश मणि त्रिपाठी।
देवरिया।
बरहज तहसील क्षेत्र के ग्राम महुई मिश्र,में चल रहे
श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर आचार्य बृजेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि हर जीव के अंत:करण में ईश्वर है वही हमें संचालित करता है, वही संपूर्ण शक्ति का मालिक है। हर जीव को सदा ही उस ईश्वर को धन्यवाद करना चाहिए जो हमारे समस्त कार्यों को संचालित कर रहा है। श्रीमद्भागवत महापुराण के चतुर्थ स्कंध के नवें अध्याय में श्री ध्रुव जी महाराज भगवान की स्तुति करते हुए कह रहे हैं कि —
योऽन्तःप्रविष्य मम वाचमिमां प्रसुप्तां
सञ्जीवयत्यखिलशक्तिधरः स्वधाम्ना।
अन्यांश्च हस्तचरणश्रवणत्वगादिनं
प्राणान नमो भगवते पुरुषाय तुभ्यम्।।
हे भगवान, आप परम पुरुष हैं, आप सभी शक्तियों के स्वामी हैं, आपने मेरे भीतर प्रवेश करके मेरी सुप्त वाणी को जागृत कर दिया है, तथा अपनी उपस्थिति मात्र से हाथ, पैर, कान, त्वचा और प्राण आदि इन्द्रियों को भी शक्ति प्रदान कर दी है।
अपने जागते हुए घंटों में हम अपनी इंद्रियों और कर्मेन्द्रियों का उपयोग करके बैठते हैं, चलते हैं, खाते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं और कई अन्य क्रियाएँ करते हैं। हम सोचते हैं कि हम सभी कर्मों के ‘कर्ता’ हैं और यदि हमने अच्छा प्रदर्शन किया है तो उसका श्रेय लेते हैं। हम यह अभिमान जमा लेते हैं कि हम सभी कर्मों के “नियंता” हैं। हम उस परम विश्वव्यापी शक्ति के बारे में कभी नहीं सोचते जिसने इस शरीर की रचना की है, जैसे इस सृष्टि की अन्य सभी चीज़ों की। इस परम शक्ति या परम प्रभु ने हमारे अस्तित्व में प्रवेश किया है और हमारे अंगों, इंद्रियों और प्राणशक्तियों को सजीव किया है। इस शक्ति के बिना शरीर एक शव बन जाता। उनकी इच्छा से ही हम सोते और उठते हैं, और दिन भर अपने सभी कार्य करने में सक्षम होते हैं।
अतः हमें मिथ्या अभिमान न करते हुए सतत भगवान का चिंतन और वंदन करना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान मारकंडे पांडे, सत्य प्रकाश मिश्रा, देवव्रत मिश्र, आनंद प्रकाश, वेद प्रकाश मिश्रा, ओमप्रकाश मिश्रा, प्रशांत कुमार, मुन्नामिश्रा ,मृत्युंजय पांडेय, अनिल कुमार, महादेव, राजन चौबे सहित काफी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे।

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