Deoria news:भगवान शिव और सती प्रसंग
ग्राम करायल शुक्ला में चल रहे श्री राम कथा के दूसरे दिन सायंकालीन सभा में आश्रम बरहज से पधारे हुए पंडित विनय मिश्रा ने भगवत चर्चा करते हुए कहां की सती को भगवान शिव ने समझने का प्रयास किया लेकिन सती नहीं मानी
भातिअनेक शंभू समझावां।
भावि बस न ज्ञान उरआवा।।
भगवान समझ गए कि अब सती को समझाना व्यर्थ है इसलिए भगवान शिव ने कहा वही होई हही जो राम रूचि राखा।
शिव भगवान शिव ने कहा कि अब वही होगा जो भगवान चाहेंगे सती जब भगवान की परीक्षा लेने जाने लगी तो भगवान शिव ने कहा कि परिक्षक के रूप में, जा रही हो तो ध्यान रखना की कहानी परीक्षा देने वाला तुमसे आगे ना निकल जाए बात वही हुई जिसके लिए भगवान शिव ने चेताया था सती ने सीता का भेष धारण कर उसी मार्ग में आगे निकल गई, जिस मार्ग पर भगवान जनक नंदिनी जानकी को ढूंढते हुए जा रहे थे प्रभु श्री राम ने सती को देखते ही प्रणाम किया और कहा मां आप अकेले इस विपिन में कहां फिर रही है भोलेनाथ कहां है यह सुनकर, सती कहां पर मानो उन्होंने अपने भूल को स्वीकार किया कथा के दौरान कथा के आयोजन अंगद प्रसाद द्विवेदी, प्रिंस द्विवेदी ,प्रभाकर द्विवेदी जयचंद शुक्ला, कौशल किशोर शुक्ला, विनय शुक्ला, गजेंद्र शुक्ला, रामनिवास उपाध्याय, सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।



