भारतीय सिनेमा को मिला अंतरराष्ट्रीय मंच,2026 में इस्तांबुल में शामिल होगा दादासाहेब फाल्के फिल्म महोत्सव
अनिल मिश्रा के नेतृत्व में भारतीय फिल्म उद्योग को मिला वैश्विक पहचान का अवसर

मुंबई, 13 नवम्बर 2025:भारतीय सिनेमा के लिए यह गर्व और सम्मान का क्षण है। दादासाहेब फाल्के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (DPIFF) को विश्व की प्रतिष्ठित संस्था सिनेटूर / विश्व फिल्म महोत्सव समिति (Cinetour / World Film Festival Committee) की सदस्यता के लिए औपचारिक आमंत्रण प्राप्त हुआ है।सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि वर्ष 2026 में इस्तांबुल (तुर्की) में आयोजित होने वाले विश्व फिल्म महोत्सव कांग्रेस में, भारत का प्रतिनिधित्व दादासाहेब फाल्के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव करेगा। इस आयोजन में 63 देशों के प्रसिद्ध फिल्म महोत्सव और कलाकार भाग लेंगे, और भारत की ओर से यह सम्मान DPIFF को मिला है — जो देश के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है।भारतीय फिल्म उद्योग के प्रतिष्ठित नाम और DPIFF के प्रबंध निदेशक अनिल मिश्रा ने एक बार फिर भारतीय सिनेमा का परचम विश्व मंच पर लहराया है। उनकी दूरदृष्टि और समर्पण ने न केवल भारतीय फिल्मों को वैश्विक पहचान दी है, बल्कि भारतीय संस्कृति और कला को भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नई ऊंचाई प्रदान की है।
इस्तांबुल में गूंजेगा भारतीय सिनेमा का डंका दादासाहेब फाल्के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव को मिला वैश्विक सम्मान
सिनेटूर समिति ने अपने पत्र में लिखा
“सिनेटूर / विश्व फिल्म महोत्सव समिति के रूप में, हम आपको सादर नमन करते हैं। दुनिया भर में अनेक विषयों पर कई फिल्म महोत्सव आयोजित किए जाते हैं। सभी का उद्देश्य फिल्म और सिनेमा उद्योग को सशक्त बनाना है। इसके लिए विश्व को एक मजबूत और संगठित समिति की आवश्यकता है।
सिनेटूर समिति ने आगे बताया कि उसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख फिल्म महोत्सवों को एक साथ लाकर देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु बनाना है। केवल एक वर्ष में ही यह समिति 63 सदस्य देशों के साथ एक सशक्त वैश्विक परिवार का रूप ले चुकी है।समिति वर्ष 2026 में “विश्व फिल्म महोत्सव कांग्रेस” आयोजित करने जा रही है, जिसमें विश्व के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म महोत्सवों और प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाया जाएगा,
पत्र के अंत में समिति ने कहा
“इस महत्वपूर्ण समिति में आप जैसे प्रतिष्ठित महोत्सव को शामिल कर हमें गर्व होगा। हम आपको सिनेटूर परिवार की सदस्यता के लिए अपना आधिकारिक निमंत्रण प्रस्तुत करते हैं और आपके अनुमोदन की प्रतीक्षा करते हैं।”
इस अवसर पर DPIFF के संस्थापक अनिल मिश्रा ने कहा
“यह केवल हमारे महोत्सव के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह अवसर भारत और विश्व के सिनेमा जगत के बीच नई साझेदारी, संवाद और सहयोग की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।”
अनिल मिश्रा के इस उल्लेखनीय कार्य पर देश के कोने-कोने से बधाइयों का तांता लग गया है। फ़िल्म उद्योग, बॉलीवुड कलाकारों और दर्शकों ने इसे “भारतीय सिनेमा की नई उड़ान” बताया है।इस्तांबुल में होने वाला यह महोत्सव न केवल भारतीय फिल्मों की कला और सौंदर्य को प्रस्तुत करेगा, बल्कि यह अवसर बॉलीवुड के कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मंच देगा। कहा जा रहा है कि “इस बार इस्तांबुल में भारतीय सिनेमा का डंका बजेगा”, और यह सब संभव हुआ है अनिल मिश्रा के अथक प्रयासों और दूरदर्शिता के कारण।



