बिहार के बाद यूपी में भी बढ़ी ओवैसी की राजनीतिक सक्रियता, सियासत में नई हलचल तेज

उत्तर प्रदेश में ओवैसी की एंट्री की चर्चाएँ तेज, M-Y फैक्टर पर निगाहें टिकीं

उत्तर प्रदेश की राजनीति में ‘एम-ए फैक्टर’ की चर्चा तेज, ओवैसी की संभावित एंट्री से हलचल

लखनऊ।बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के उत्तर प्रदेश में चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। पार्टी नेतृत्व की ओर से संकेत मिले हैं कि 2027 के चुनाव को देखते हुए संगठन उत्तर प्रदेश में अपनी उपस्थिति को औपचारिक रूप से विस्तार देने की रणनीति पर काम कर रहा है।

M-Y फैक्टर: मुस्लिम–अति-पिछड़ा समीकरण पर नजर

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यदि AIMIM यूपी में सक्रिय होती है तो उसका फोकस मुस्लिम–अति-पिछड़ा (MY फैक्टर) सामाजिक गठजोड़ पर रहने वाला है।
यह वही सामाजिक आधार है, जो कई सीटों पर सीधी टक्कर की स्थिति बना सकता है। बीते कुछ वर्षों में ओवैसी ने कई राज्यों में इस वोट बेस को साधने के लिए लगातार सभाएँ, संवाद और संगठन विस्तार की रणनीति अपनाई है। यूपी में भी वे इसी पैटर्न को आगे बढ़ा सकते हैं।

समाजवादी पार्टी पर क्या असर?

राजनीति के जानकार मानते हैं कि यदि AIMIM कई सीटों पर उम्मीदवार उतारती है तो वह मुस्लिम-अति-पिछड़ा समर्थन आधार वाले क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी के समीकरणों को चुनौती दे सकती है।हालांकि, क्या यूपी में बिहार जैसी स्थिति दोहराई जा सकती है, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगा। लेकिन इतना तय है कि ओवैसी की संभावित एंट्री से विपक्षी खेमे में रणनीतिक पुनर्समीक्षा की जरूरत महसूस की जा रही है।

ओवैसी की लोकप्रियता और शैली

असदुद्दीन ओवैसी अपनी तेज़तर्रार संसदीय शैली, संवाद में धार और संवैधानिक मुद्दों पर स्पष्ट स्टैंड के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि युवाओं और हाशिए पर खड़े समुदायों के बीच उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ी है।उनकी राजनीति का एक अहम पहलू यह है कि वे राष्ट्रीय मुद्दों को स्थानीय पीड़ा से जोड़ते हुए बात रखते हैं, जिससे उनका प्रभाव कई नए क्षेत्रों में तेजी से बढ़ता दिख रहा है।

क्या यूपी में नया राजनीतिक समीकरण बनेगा?

वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकारों का मानना है कि यदि AIMIM ने यूपी में संगठित ढंग से चुनाव लड़ा, तो यह राज्य की पारंपरिक द्विध्रुवीय राजनीति को एक नए मोड़ पर ले जा सकता है।ओवैसी की सक्रियता नई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे रही है,और 2027 का चुनाव इस लिहाज़ से कई दिलचस्प मोड़ ला सकता है।

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