जब-जब जुल्म होगा तब-तब जिहाद होगा,मंच से जमीयत चीफ महमूद मदनी की दो टूक

Amidst the controversy surrounding the song Vande Mataram, a statement by Jamiat Ulema-e-Hind chief Maulana Mahmood Madani has sparked a new debate. During an event, Madani stated that Muslims are facing injustice in the country and that if the atrocities continue, they will be forced to wage jihad. He alleged that constitutional institutions are also acting under pressure and that some decisions appear biased against the Muslim community.

देश में वंदे मातरम् गीत को लेकर शुरू हुए विवाद के बीच अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के बयान ने नई बहस को जन्म दे दिया है। एक कार्यक्रम के दौरान मदनी ने कहा कि देश में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है और यदि अत्याचार बढ़ता है तो मुसलमान जिहाद करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि संवैधानिक संस्थाएँ भी दबाव में काम कर रही हैं और कुछ फैसले मुस्लिम समाज के प्रति पक्षपाती दिखाई देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट पर सवाल

मदनी ने सुप्रीम कोर्ट को “सुप्रीम कहलाने का हक” तभी बताया जब तक वह संविधान की रक्षा करे। उन्होंने दावा किया कि ‘प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ के बावजूद धार्मिक स्थलों से जुड़े नए विवाद उठाए जा रहे हैं, जिससे संवैधानिक ढाँचे पर प्रश्नचिह्न लगता है।

मुस्लिम समाज को चेतावनी

अपने संबोधन में मदनी ने समुदाय के भीतर समर्थन और असहमति का उल्लेख करते हुए कहा कि लगभग 10 प्रतिशत लोग उनके साथ हैं, 30 प्रतिशत विरोध में और शेष 60 प्रतिशत मौन हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को शांत बहुसंख्यक वर्ग से संवाद बढ़ाकर अपनी चिंताएँ समझानी होंगी, अन्यथा भविष्य में बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

मदनी के बयान पर भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि जमीयत प्रमुख समाज में तनाव बढ़ाने और मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं पर हमला लोकतंत्र के लिए अनुचित है।

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