Deoria news, त्याग तपस्या और राष्ट्रभाव के प्रतीक बाबा राघवदास

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*त्याग, तपस्या और राष्ट्रभाव के प्रतीक बाबा राघवदास*

*—बाबा राघवदास जी की 129वीं जयंती पर प्रेरणादायी उद्बोधन*

*बाबा राघवदास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय में धूमधाम से मनाई गई 129वीं जयंती*

*भक्ति, विचार और प्रेरणा से ओतप्रोत रहा जयंती समारोह*

*नई पीढ़ी को संस्कार, शिक्षा और सेवा का संदेश देकर गए बाबा राघवदास—अध्यक्ष
बरहज देवरिया।
शुक्रवार को बाबा राघवदास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, आश्रम बरहज में पूर्वांचल के महान संत एवं समाज सुधारक बाबा राघवदास जी की 129वीं जयंती श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाई गई। समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. शम्भुनाथ तिवारी ने की।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं बाबा राघवदास जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ। मंगलाचरण डॉ. प्रभु कुमार तथा सरस्वती वंदना अदिति राजभर ने प्रस्तुत कर वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। स्वागत गीत वर्षा पांडेय ने सुंदर स्वर में प्रस्तुत किया।
मुख्य वक्ता मनोवैज्ञानिक प्रो. आरती पाण्डेय ने कहा कि बाबा राघवदास जी का जीवन मानव सेवा, करुणा और त्याग का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा, समानता और मानवता का संदेश पहुँचाया। आज के समय में उनके विचार सामाजिक सामंजस्य, नैतिकता और जनसेवा के पथ को प्रकाशित करते हैं।
प्रो. सूरज प्रकाश गुप्ता उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बाबा राघवदास जी ने भारतीय समाज को जागरूक किया और ग्रामीणों, दलितों तथा कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनका तप और त्याग आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। सामाजिक चेतना की प्रबल धारा वही है जिसे बाबा जी ने अपने कर्म से स्थापित किया।
डॉ. वेद प्रकाश सिंह ने कहा कि बाबा राघवदास जी आध्यात्मिक शक्ति और समाज सेवा के अद्वितीय संगम थे। उन्होंने शिक्षा को समाज परिवर्तन का सबसे सशक्त साधन बताया और उसी दिशा में अनेक कार्य किए। वर्तमान पीढ़ी को उनके आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. तिवारी ने कहा कि बाबा राघवदास जी केवल एक संत ही नहीं, बल्कि समाज को शिक्षित और संगठित करने वाले युगपुरुष थे। उनका योगदान पूर्वांचल ही नहीं, बल्कि समूचे राष्ट्र के लिए अमूल्य है। महाविद्यालय का नाम उनके नाम पर होना हमारे लिए गर्व की बात है और हम उनके आदर्शों को शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से आगे ले जाने के लिए संकल्पित हैं।
बाबा जी पर समर्पित गीत ‘तपसी त्यागी राघवदास..’ प्रदीप कुमार शुक्ला ने मधुर स्वर में प्रस्तुत किया।तत्पश्चात डॉ. धनन्जय तिवारी ने भजन ‘मन लागो मेरे यार फकीरी में…’ गाकर सभा को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। इसके बाद कुमारी पूजा ने ‘राधे तेरे चरणों की…’ तथा जिया सिंह ने ‘मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने…’ प्रस्तुत कर कार्यक्रम में आध्यात्मिक माधुर्य भर दिया। संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. अरविन्द पाण्डेय ने कुशलतापूर्वक किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रो. दर्शना श्रीवास्तव, डॉ. आभा मिश्र, डॉ. अविकल शर्मा, डॉ. रणधीर श्रीवास्तव, डॉ. अजय बहादुर, डॉ. मंजू यादव, रुची मिश्र सहित महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक, कर्मचारी व छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।

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