आजमगढ़:दाढ़ी और टोपी ही मुसलमानों की पहचान है:मुफ़्ती मोहम्मद अहमदुल्लाह
रिपोर्ट:रोशन लाल
बिलरियागंज/आजमगढ़:खानकाह शाह अबरार फूलपुर के मुफ्ती मोहम्मद अहमदुल्लाह फुलपूरी ने मुसलमानों को नसीहत करते हुए कहा कि रमजान के महीने में जहां नमाजियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है वहीं नंगे सर बिना टोपी के नमाज़ पढ़ना फैशन बन गया है. दाढ़ी और टोपी इस्लामी पहचान है।काहिली सुस्ती या फैशन में बिना टोपी के नमाज़ पढ़ना मकरूह है, हमारे नबी मोहम्मद साहब टोपी के साथ पगड़ी बाँधते थे आप के बाद सहाबा और नेक लोगों ने भी टोपी पहनने की सुन्नत को बाकी रखा, अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम बिना टोपी के नमाज पढ़ने के फैशन को छोड़ें। लिबास की सुन्नत को जिंदा रखें, नमाज के वक्त अपनी आस्तीन को न चढ़ाएं, अल्लाह के सामने अपने आप को कमजोर व कम दर्जे का साबित करें,अरब देशों की आजादी को देखकर भारत देश में नंगे सर नमाज पढ़ने की बीमारी बढ़ती जा रही है। शरीर के हर अंग से बंदगी साबित होनी चाहिए। किसी मजबूरी में बिना टोपी के नमाज पढ़ लिया तो ठीक है लेकिन इसकी आदत बना लेना गलत बात है जिससे सवाब कम हो जाता है। मगफिरत का दूसरा अशरा चल रहा है, मौसम भी सुहावना है, अल्लाह की रहमतें और बरकतैं आम हैं, सवाब पाने का बेहतरीन मौका है।ईद की खरीददारी में इबादत बर्बाद न करें, महिलाएं बाजारों में जाने से बचें, बाजारों में महिलाओं की भीड़ शर्मनाक है, महिलाएं अपने घरों में ही इबादत और सेवा करें, बाजारों की रौनक से बचें, मजबूरी के वक्त बाहर निकलें, आज लोग हमारी संस्कृति का मजाक उड़ाते हैं, हमारी बहन-बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है, जिसके लिए हम खुद जिम्मेदार हैं, माता-पिता और अभिभावकों को कड़ी नजर रखने की जरूरत है, अल्लाह हमें सही समझ दे, साथ ही रमज़ान के महीने में फज्र की अजान में जल्दबाजी न करें, सुबह सादिक के बाद कम से कम पांच मिनट बाद अजान देना चाहिए, घड़ी के समय में फर्क हो सकता है, सुबह सादिक के बाद खाने-पीने से रोजा टूट जाएगा। तरावीह की नमाज के दौरान युवा पीछे की सफ में बैठे रहते हैं।यह इबादत का मज़ाक़ है, जो पूरी तरह से गलत है। दुख होता है, ऐसा करना पाप है, इबादत के नाम पर पाप करना नासमझी की बात है, युवाओं को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।