आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा की मार पुरानी संस्कृति पर तीखी तलवार
रिपोर्ट:भगवान उपाध्याय
देवरिया:अंग्रेजी शिक्षा की मार संस्कृति पर तीखी तलवार
कुछ समय पहले जब गुरुकुल की पढ़ाई होती थी उसे समय वेद मंत्र देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मनुष्य को गुरु के पास जाकर शिक्षा ग्रहण करना पड़ता था और गुरु की कृपा से ही लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने घर को वापस आते थे पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बाल्यावस्था में ही पुरोहित अपने यजमान के बच्चों को उन्नयन संस्कार करने के बाद अपने साथ गुरुकुल लेकर चले आते थे वहां पर बच्चों को शास्त्र और शास्त्र एवं अध्यात्म की शिक्षा दिया जाता था लेकिन आज के परिवेश में लोग अपने माता-पिता का ही अनादर करना नगवार शुरू कर दिए हैं यह संस्कृति पर पहले प्रहार है दूसरा प्रहार यह है कि अंग्रेजी शिक्षा पाने के लिए लोग दिखावे पन के लिए मॉडलिंग वस्त्र पहनना शुरू कर दिए हैं जिससे समाज में आज हर दिन तरह-तरह की यातनाएं सुनने और देखने को मिल रही है
जिसका मुख्य कारण अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति समय ना देना।
आज के समय में लोग धन कमाने के लिए इस प्रकार से व्यस्त होते जा रहे हैं कि लोग अपने बच्चों बाल्यावस्था में ही जब वह बच्चा ढाई से 3 वर्ष का होता है तो उसे या तो हाई लेवल की किसी मोंटेसरी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेज दिया जाता है या तो काम वाले के ऊपर उसके अपने बच्चों को पालने के लिए जिम्मेदारी रखा जाता है जिससे वैसे माता-पिता अधिक से अधिक धन कमा सके और महंगी महंगी गाड़ियों में घूम सके लेकिन वैसे माता-पिता को अपने बच्चों के प्रति भी समय देना चाहिए जिससे वह बच्चा अपने माता-पिता के साथ अपने संस्कृति को पहचान सके लेकिन जो समाज में आज के दौर में कहीं ना कहीं अपराध देखने या सुनने को मिल रहे हैं। वह भी इसका मुख्य कारण है क्योंकि जब हम अपने बच्चों को अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता अपने लोग से परिचय नहीं करेंगे तो आप बच्चा निश्चित ही एक कोठरी में रह कर वही सीखेगा जो उसे बताया गया है अतः आवश्यकता है हम सभी को यदि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं तो हमें अपनी संस्कृति को भी बताना चाहिए हमारी संस्कृति से अंग्रेज हुकूमत की और तरह-तरह की जो औषधि प्राप्त हुई जो आज लोगों का इलाज करने एवं युद्ध करने के लिए जो केमिकल बताए गए वह भी हमारे संस्कृत का ही देन है जिससे आज परमाणु बम एटम बम और अन्य लड़ाकू विमान बना रहे हैं वह हमारी भारतीय संस्कृति की देन थी जो पांडुलिपि अंग्रेज छोड़ गए थे अंग्रेज सबसे पहले यदि भारत पर अतिक्रमण किया तो उन गुरुकुलों पर किए पूर्ण रूप से उन गुरुकुलों को समाप्त कर दिए जिससे हम अपने देवी देवताओं के साथ एक अच्छे योद्धा भी तैयार करते थें आज के समय में हम सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत और विदेशी नीतियों पर चलना पसंद करते हैं आज भारत में अधिकांश का यह देखा जा रहा है कि भाई ही भाई का शत्रु बना हुआ है ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि उसके मन में अपनों के प्रति आदर नहीं है।
अगर हमें वास्तव में अपनी मातृभूमि एवं संस्कृति की गरिमा को कायम रखना है तो हमें अपने बच्चों को अपनत्व की शिक्षा देना होगा तभी आज के समय में हो रहे बुराइयों को रोकने में सफल होंगे यदि हम संगठित होंगे अपनों के प्रति आदर होगा अपनों के प्रति सम्मान होगा तो निश्चित तौर पर अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकेगा या हम सभी का दायित्व है।