भारतीय संस्कार एवं उनका महत्व
भारतीय संस्कृति में ऐसा माना जाता है की पूर्वजों के संस्कार आने वाली पीढियां के संतानों पर पड़ती है अगर पिता धार्मिक स्वभाव में रुचि रखता हो तो स्वाभाविक सी बात है उनकी संताने के पुत्र भी अच्छे कार्यों में समाज सेवा में अक्सर जुड़े रहते हैं पिता स्वर्गीय जगन भोला नाविक तथा माता मूला देवी ने ऐसे संस्कार भरे हुए हैं की मरणोपरांत भी उनके संतान उनके पुत्र उनके नाम को रोशन करने के लिए निरंतर प्रयास और प्रयत्न कर रहे हैं और समाज में गांव में गेट बनवाना मंदिर बनवाना या समाज में अन्य लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हटते अभी कुछ वर्षों पहले ही श्री राम प्रकाश उर्फ फेकन ने पकड़ी बुजुर्ग में अपनी धर्मपत्नी स्वर्गीय पुष्पा देवी स्मरणार्थ मंदिर का निर्माण भी कराए हैं। अब बात करते हैं प्रभु श्री राम भक्त जगन भोला नाविक जी की जिन्होंने प्रभु श्री राम की भक्ति में ऐसा प्रण लिया की पूरा जीवन स्नान ही नहीं किया और वह एक कार सेवक भी थे पकड़ी बुजुर्ग ग्राम वासियों के समक्ष प्रण लिया था कि जब तक श्री राम मंदिर नहीं बन जाएगा तब तक मैं स्नान नहीं करूंगा लेकिन विधि के विधान को कुछ और ही मंजूर था जो राम मंदिर के प्रति उनकी यादें सिमट कर रह गई जिसे उनके सुपुत्रों द्वारा पूरा किया जा रहा है 15-10-2012 को उन्होंने अंतिम सांस लेते हुए स्वर्गवासी हो गए मरणोपरांत ही स्नान नसीब हुआ प्रभु श्री राम की भक्ति में 2012से2024 का समय अंतराल भी 12 वर्ष का हो रहा है अतः स्वर्गस्य पश्चात 12 वर्ष बाद श्री राम मंदिर का उद्घाटन के अवसर पर भावी भक्त एवं कार सेवक स्वर्गीय श्री जगन भोला नाविक जी को याद करते हुए अयोध्या श्री राम मंदिर के उद्घाटन की घड़ी में भव्य कार्यक्रम का आयोजन विजय संकल्प महोत्सव का आयोजन किया गया।