आजमगढ़:विभिन्न ग्राम पंचायतों में अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व दिवस के अवसर संगोष्ठी का आयोजन किया गया
Azamgarh: Seminar was organized in various Gram Panchayats on the occasion of International Brotherhood Day
रिपोर्ट:चन्द्रेश यादव
आजमगढ़ (अतरौलिया)ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत अतरौलिया ब्लॉक की 10 ग्राम पंचायतों में नारी संघ की महिलाओं के साथ बैठक किया गया। जिसमें उपस्थित प्रतिभागियों को बताया गया कि प्रतिवर्ष 4 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व दिवस मनाया जाता है। बंधुत्व का अर्थ है एक दूसरे के साथ भाईचारे और सहयोग की भावना। यह एक ऐसी भावना है जिसमें लोग एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं और एक दूसरे के हितों का ध्यान रखते हैं। बंधुत्व में लोग एक दूसरे के साथ भाईचारे की भावना रखते हैं और एक दूसरे को अपना भाई या बहन मानते हैं। समाज में एकता और सामंजस्य को बढ़ावा देता है, लोगों के बीच सहयोग और सहानुभूति को और समाज में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देता है। जेंडर के आधार पर देखा जाए तो इसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग भूमिकाएं निर्धारित की जाती हैं, जैसे कि पुरुषों को कमाने वाले और महिलाओं को घर की देखभाल करने वाले माना जाता है। पितृसत्तात्मक सोच के अंतर्गत पुरुषों को समाज में उच्च स्थान दिया जाता है और महिलाओं को घरेलू कार्यों तक सीमित रखा जाता है। लेकिन अब देखा जाए तो लोग लिंग समानता की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं और पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व दिवस एकता की सुंदरता और विविधता में पाई जाने वाली ताकत की एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है। प्रतिवर्ष 4 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन वैश्विक एकजुटता और आपसी समझ का आह्वान करता है, जो नफरत और संघर्ष पर काबू पाने में करुणा, सम्मान और सहानुभूति के महत्व को रेखांकित करता है।अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व दिवस शांति और अहिंसा की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देता है। यह व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों को धर्म और भाषा के मतभेदों से ऊपर उठकर संवाद और सहयोग की भावना से एक साथ आने के लिए कार्रवाई के आह्वान के रूप में कार्य करता है। यह दिन इस बात पर जोर देता है कि शांति केवल संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं है बल्कि इसमें सक्रिय भागीदारी, आपसी सम्मान और समझ और सहयोग के माध्यम से असहमति का समाधान शामिल है। इस पर महिलाओं के साथ नारा लगाया गया – “महिलाएं कमजोर है, ऐसा कहना छोड़ दो !! रूढ़िवादी परम्परा की, जंजीरों को तोड़ दो !!!