देश की रक्षा के लिए एक हाथ में तलवार और एक हाथ में विज्ञान जरूरी होता है , मनोज सिन्हा
रिपोर्ट सुरेश पांडे
नंदगंज गाजीपुर ।जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को सायं रेनबो माडर्न स्कूल नंदगंज के प्रांगण में आयोजित “बदलते भारत के समग्र विकास में हम और हमारी भूमिका” विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व के काल खंडों में दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत का 33 प्रतिशत योगदान था। भारत सोने की चिड़ियां कहलाता था। उसके पीछे का कारण यह था कि भारत के शिक्षण संस्थान विश्व के सबसे अच्छे संस्थान थे। हमारी चिकित्सा व्यवस्था काफी मजबूत थी। जो कारीगर हमारे सामान बनाते थे, उसकी खपत नहीं बल्कि विदेशों में मांग बहुत ज्यादा थी। जिसके बदले हम विदेशो से सामनो के बदले सोना यहां ले आते थे। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षो का काल खंड भारत के पुरूषार्थ को जगाने का काल खण्ड है। उन्होंने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में आज भारत 15प्रतिशत का योगदान कर रहा है। जो देश हमे कभी गुलाम बनाया था उसकी अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर प्राप्त किया है। लेकिन इस पर भी हमे संतोष नहीं है । फिर से हम 33% का योगदान दुनिया को दे सके, ऐसे भारत का निर्माण हमें करना है। उन्होंने कहा कि देश के 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाल कर मध्यम श्रेणी के लोगों का जीवन का मार्ग प्रशस्त करना, यह बदलते भारत का सबसे बड़ा उदाहरण है। महामहिम मनोज सिन्हा ने कहा कि देश की रक्षा के लिए एक हाथ में तलवार और एक हाथ में विज्ञान जरूरी होता है । आज का भारत इन दोनों के साथ आगे बढ़ रहा है ।उन्होंने कहा कि हमारी नैतिक प्रगति की रफ्तार बढी है ।नई ऊर्जा का संचार हुआ है। शिक्षाविद डा. संतोष यादव ने कहा कि विगत एक दशक में भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का जागरण हुआ। सामाजिक मान को जिन्हें पूर्वकाल में अपभ्रंश किया गया था
उनका पुनरोद्धार का प्रयास हुआ है। यह बदलते भारत की बड़ी उपलब्धि है। संगोष्ठी को साहित्यकार गजाधर शर्मा गंगेश, पूर्व विधान परिषद सदस्य चेतनारायण सिंह,पूर्व मंत्री विजय मिश्रा, अंकित जायसवाल ने सम्बोधित किया। इससे पूर्व उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को राजकिशोर जायसवाल व अरुण कुमार जायसवाल ने पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह तथा अंग वस्त्र से सम्मानित किया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद डॉ. संगीता बलवंत तथा संचालन विनीत शर्मा ने किया।