शंकर भगवान लोक कल्याण तो हनुमान सबंध बनाने जोड़ने जीवन देने तो रावण तोड़ने व विनास का पर्याय बना

रसड़ा (बलिया) नौदिवसीय नवापरायण पाठ एवं यज्ञ तथा सत्संग अनुष्ठान व रामचरित मानस कथा के चौथे दिन सोमवार को रामचरित मानस सत्संग अनुष्ठान समिति ब्रह्मस्थान द्वारा आयोजित श्रीनाथ मठ स्थित परिसर मे रामायण के कथा वाचक विद्वत अमर मणि त्रिपाठी शाण्डिलय चुटकिया बाबा ने अपने मुखार विन्दु से हनुमान जी, शंकर भगवान व रावण के सन्दर्भ मे वयाख्या करते हुए कहा कि पवन सुत हनुमान सबंध जोड़ने बनाने जैसे राम का सुग्रीव से मित्रता व लक्ष्मण जी को शंकट के समय संजीवनी बूटी लाकर जीलाने का कार्य तथा परोपकर करनेवाले है वही देवाधिदेव महादेव भोलेनाथ लोककल्याण तो रावण अहंकार मे अपने आगे किसी को न समझने वाला अपने कुल खनदान का विनास व अपने भाई के उसके भलाई के लिए बात करने पर अनसुना कर तथा लात मार कर सबंध तोड़ने काम किया जिसे उसका सर्वनाश हो गया अगर मनुष्य ईश्वर को समझ ले और नाता जोड़ ले तो उसका भविष्य अंधकार से प्रकाश मे हो जाता है मनुष्य जीवन एक अमूल्य है इसे समझ मानव को एक दूसरे से प्रेम व मिलाप सबंध जोड़ कर चले तो उसका बड़ा शत्रु भी बाल बाका नही कर सकता है हमे रामायण से यह सीख मिलती है कि परिवार मे मेल मिलाप अच्छे सबंध रहे तो वह सबसे बड़ा सुखी व धनवान है जिसे अपने जीवन मे थोड़ा समय निकाल कर भगवत कथा का तथा सतसं मे समय देकर भगवन से प्रेम कर ले उसका व उसके परिवार का जीवन सफल हो जाता है हमे हमारे धर्म ग्रन्थ मानव जीवन जीने का राह दिखाती है इसी क्रम मे अमरना नाथ त्रिपाठी ने राम के जीवन दर्शन का रसपान कराते हुए कहा कि हमरा यह जीवन मिला है उसे उसका थोड़ा समय परोपकार मे लगाना चाहिए जिससे जीवन का हर आनन्द सुख मिलता है और आने वाले पीढ़ी जीवन का सुखमय व्यतीत होता है मानव जीवन है मिला है भक्ति से अपने अतंर्त्मा से भगवान को उतारना अतं:हकरण से याद करने से पर्मात्मा का दर्शन हो जाता है मानव जीवन धन्य हो जा हो जाता है। ईश्वरीय शक्ति मिल जायेगा। इस अनुष्ठान मे विशेष सहयोग श्रीनाथ मठ के मठाधीश कौशेलेन्द्र गिरि अशोक गुप्ता दीना सिंह आदि रहे।

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