वट सावित्री पूजा : महिलाओं ने उपवास रख पति की लम्बी उम्र की कामना

रिपोर्ट : अजित कुमार सिंह” बिट्टू जी” ब्यूरोचीफ हिन्द एकता टाइम्स

 

 

रतसर (बलिया)

सनातन संस्कृति में सारे पर्व प्रकृति पूजा पर आधारित हैं। यहां वृक्षों को उनके गुणों के आधार पर भगवान मानकर पूजा जाता है। गुरुवार को कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्र में सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री व्रत रखा। इस दौरान व्रती महिलाओं ने बरगद के पेड़ के नीचे त्रिदेव की पूजन-अर्चन कर अखण्ड सौभाग्य की सलामती मांगी। महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और अपने वैवाहिक सुख की रक्षा के लिए विभिन्न स्थानों पर वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना की। कस्बा सहित ग्रामीण अंचलों में महिलाएं सुबह से ही सज-धजकर आसपास लगे बरगद के पेड़ के पास पहुंची। वहां पर वट वृक्ष को दूध,गंगाजल आदि से स्नान कराकर रोली, सिन्दूर आदि से पूजन किया। कच्चा सूत्र बांधकर 108 बार परिक्रमा की और फल आदि समर्पित किए। पति की दीर्घायु की कामना की। वट वृक्ष का वर्णन धार्मिक शास्त्रों, वेदों और पुराणों में किया गया है। एक ओर जहां वट वृक्ष को भगवान शिव का रूप माना जाता है,वहीं दूसरी ओर पद्म पुराण में इसे भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को विवाहित महिलाएं व्रत रखती है और वट वृक्ष की पूजा करती हैं,जिसे वट सावित्री कहा जाता है।पति की रक्षा और वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती है और वट वृक्ष के चारो ओर धागा बांधकर 108 बार परिक्रमा करती हैं। कहा जाता है कि माता सावित्री अपने कठिन तप से अपने पति के प्राण यमलोक से वापस लाई थी तभी से इसे वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है।

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