बैतूल की राजनीति सड़क, नाली और पानी के इर्द गिर्द घूम रही हैं। : महंत सागर करकरे
(मध्य प्रदेश बैतूल से शेख इकबाल की ख़ास रिपोर्ट)
बैतूल के राजनीति का स्तर सड़क नाली और पानी के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। 70 सालों में ऐसा कुछ भी बदलाव बैतूल के इतिहास में नहीं हुआ, जिसको याद रखा जा सके। यहां पर राजनीति का स्तर इस कदर गिरता जा रहा है कि लोग सिर्फ आरोप और प्रत्यारोप की ही राजनीति में लगे हुए हैं लेकिन बैतूल वासियों के लिए खुशहाली आए ऐसा एक भी कार्य इनके द्वारा नहीं किया गया है। 70 सालों में सिर्फ यहां पर राजनीति सड़क नाली और पानी पर ही की जा रही है। इसके अलावा यहां पर न रोजगार न कोई शिक्षा की उच्चतम व्यवस्था के लिए काम किया जा रहे हैं। यहां पर रहने वाले आदिवासी भाइयों के जीवन स्तर पर भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है उनके जीवन और उनके उत्थान के लिए भी यहां के राजनैतिक लोगों द्वारा कोई भी बड़े कदम नहीं उठाए गए हैं। यहां के जो पूंजीपति राजनीतिक लोग हैं वह सिर्फ यहां के लोगों को अपना गुलाम बनाने वाली राजनीति कर रहे हैं। कई तथाकथित नेता ऐसे हैं जो शिक्षा पर जोर देने का एक नाटक कर रहे हैं शिक्षा पर जोर देने का नाटक ऐसा है कि दरअसल उनका मुफ्त में शिक्षा देने के नाम पर 5 साल बाद उनसे वोट की अपील और गुरु दीक्षा के नाम पर एक वोट मांगा जा रहा है। क्या यह सही है । यहां के राजनीतिक व्यक्ति द्वारा इस प्रकार की राजनीति करना और इनको अपना गुलाम बनाने की परंपरा बढ़ाना कहां तक उचित है। अगर यह लोग सत्ता में होते हुए भी यहां के जो स्कूल और ग्रामीण अंचलों में जो शिक्षक पढ़ाने जाते हैं ,उन पर अपना दबाव बनाकर उनको अपना कर्तव्य बोध क्यों नहीं करवाते हैं? यह लोग ग्रामीण अंचलों में जो सरकारी स्कूल संचालित हो रहे हैं। उनको देखते क्यों नहीं है उनको क्यों नहीं दिखाते हैं। संचालित सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई का स्तर इतना बदहाल है कि उसकी ओर यहां के विधायक और सांसद दोनों का ध्यान नहीं गया। इनके द्वारा लोगों को अपने तरफ से मुफ्त की शिक्षा के नाम पर गुलाम बनाने का कार्य किया जा रहा है।बैतूल के राजनीतिक लोगों द्वारा जो अपने स्कूल संचालित कर रहे हैं यह एक भविष्य के हिसाब से बहुत बड़ा षड्यंत्र है स्कूल संचालित तो कर रही है इससे इनको इनकम तो है ही लेकिन इसके माध्यम से हजारों बच्चों के पालक और बच्चों से जोड़ने का एक बहुत बड़ा माध्यम इन राजनीतिक लोगों द्वारा बनाया गया है जिससे फिर इनके आलू को से वोट की अपील की जाती है और वोट मांगा जाता है यह एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है लेकिन बैतूल वासी इतने भोले भाले हैं कि इनको कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। इसलिए बैतूल गुलामी की ओर अग्रसर है। जय हिंद जय भारत।