कालाजार और फाइलेरिया की जांच- सीएमओ,  कार्यशाला में प्रशिक्षित हुए चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी। 

 

विनय मिश्र, जिला संवाददाता।

 

देवरिया। कालाजार व फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत डब्ल्यूएचओ के सहयोग से बुधवार को सीएमओ कार्यालय के धन्वंतरि सभागार में सीएमओ डॉ राजेश झा की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बचाव व लक्षण के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान सीएमओ डॉ. राजेश झा ने कहा कि कालाजार के जांच और इलाज की सुविधा है। कालाजार और फाइलेरिया के लक्षण मिलने पर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। जांच कर तत्काल इलाज कराएं।

डब्ल्यूएचओ के डॉ. मंजीत ने कहा कि कालाजार जानलेवा है। यह बालू मक्खी के काटने से फैलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में नमी वाली जगह व मकानों की दरारों में पाई जाती है। इससे बचाव के लिए सफाई व सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। बताया कि कालाजार दो प्रकार का होता है। पहला विसलर लिसमेनियासिस (वीएल) है। 15 दिन से अधिक बुखार, भूख न लगना, खून की कमी, वजन घटना, रंग काला होना मुख्य लक्षण होते हैं। दूसरा, पोस्ट कालाजार डरमल लिसमेनियासिस (पीकेडीएल) है। इसमें त्वचा पर सफेद धब्बा मुख्य लक्षण होते हैं। यह लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में जांच और इलाज कराएं। यह सुविधा निशुल्क है। डब्ल्यूएचओ के डॉ निशांत ने कहा कि फाइलेरिया को हाथीपांव भी कहा जाता है। कहा कि शरीर के जिस भी अंग में फाइलेरिया है, उसकी नियमित साफ-सफाई बेहद जरूरी है।

जिला मलेरिया अधिकारी सीपी मिश्रा ने कालाजार के लक्षण, रोकथाम और इलाज के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। इस कार्यशाला में सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि, हसमत, मलेरिया निरीक्षक नवीन प्रकाश भारती, सीफार व पाथ संस्था के प्रतिनिधि सहित चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

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