बागी बलिया में चाय पर चर्चा… बेरोजगारी और विकास का उठा मुद्दा; मतदाताओं ने रखी अपनी बात
हिंद एकता टाइम्स का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ मंगलवार को बागी बलिया लोकसभा क्षेत्र में पहुंचा। इस दौरान सुबह चाय पर चर्चा में आम मतदाताओं ने अपनी बात रखी।
हिंद एकता टाइम्स डिजिटल टीम लोकसभा चुनाव को लेकर ग्राउंड जीरो पर मौजूद है और सत्ता का संग्राम अभियान के तहत जनता का मन टटोलने का प्रयास कर रही है। इस कड़ी में टीम मंगलवार को बलिया जिले में पहुंची और वर्तमान सरकार के कार्यकाल पर और आने वाली सरकार से उनकी क्या उम्मीदें हैं इस पर चर्चा की।
बालेश्वर मंदिर के पास चाय की चुस्की लेते हुए रिटायर्ड शिक्षक सूर्यकुमार पांडेय ने कहा कि यह स्वर्णिम अवसर है जहां देव कार्य और देश के प्रगति का कार्य एक साथ चल रहा है। हर सनातनी आज गर्व कर रहा है। आज हम विकसित भारत की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। अगर हम इससे जरा भी विचलित हुए तो फिर से देश पतन की तरफ बढ़ जाएगा। इस बात को ध्यान में रख कर बलिया की प्रतिष्ठा को देखते हुए और अपने स्वाभिमानी चंद्रशेखर जी की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए हमें नीरज शेखर को भारी बहुमत से जीत करके बलिया की साख को बचा लेना है। चुनाव के दिन सभी काम छोड़कर के मतदान करना है।
अश्वनी कुमार कहते हैं कि बलिया में मुद्दे कई हैं लेकिन यहां की मिट्टी बागी है और अपनी बागी तेवरों से जानी जाती है। चंद्रशेखर जी की यह धरती है। इस धरती से कई दिग्गज नेता निकले हैं और अभी भी कई दिग्गज नेता हैं, लेकिन विकास धरातल पर देखा जाए तो कहीं ना कहीं कमी दिखाई देती है। मंदिर और मस्जिद करने से विकास नहीं होगा। विकास रोजगार मिलने से होगा। अच्छी सड़कें मिलेंगी तब विकास कहा जाएगा।
अवधेश सिंह ने कहा कि नेता सिर्फ वोट लेने के लिए चुनाव के समय आते हैं, उसके बाद जनता की खबर कोई नहीं लेता। ऊपर से योगी जी पैसा भेजते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की कोई नहीं सुनता है। हमारे बलिया में विकास धीमी गति से हो रहा है।
अवधेश प्रकाश कहते हैं कि सड़क हो या रेलवे या फिर रोडवेज हर स्तर पर मोदी की सरकार में विकास का काम हो रहा है। अभिषेक दुबे ने कहा कि ऐसा विकास हुआ है कि सड़क पर नाली का पानी बह रहा है। पिताजी 40 साल सांसद रहे, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। विकास ऐसा हुआ कि हर बार प्रत्याशी बदलना पड़ रहा है। भाजपा प्रत्याशी कहते हैं कि पिताजी का सपना है, जनता पूछना चाहती है कि आखिर क्या है पिताजी का सपना।
चमचम कहते हैं कि भाजपा प्रत्याशी की छवि तो अच्छी है, लेकिन संसद में बेरोजगारी का मुद्दा नहीं उठाया जा रहा है। मतदान से पहले प्रत्याशी की छवि और मुद्दे दोनों को ध्यान में रखा जा रहा है। बीएड, बीटीसी करके लोग बेरोजगार घूम रहे हैं। शिक्षकों की भर्तियां नहीं हो रही हैं।
वहीं एक मतदाता का कहना है कि वे किसी जातिवाद पर बात नहीं करते। कहा कि मैं विकास पर बात करता हूं। जो लोग बेरोजगारी की बात करते हैं, उनको सोचना चाहिए कि जो रोजगार ढूंढना पड़ता है। सबको सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। जो लोग मेहनत करेंगे वही नौकरी हासिल करेंगे। कानून व्यवस्था देखना चाहिए। सपा-बसपा की सरकार में बिजली के बिना लोग बिलबिला रहे थे, अब 24 घंटे लोगों को बिजली मिल रही है।