भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा कथा व्यास कल्याणी वृंदा
जिला संवाददाता,विनय मिश्र,देवरिया।
बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम
मौना गढ़वा में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार की रात श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनकर लोग आत्म विभोर हो उठे कथा व्यास कल्याणी वृन्दा की भगवान श्रीकृष्ण के
चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि माता-पिता अपने पुत्र के लिए सब कुछ निछावर कर देता है। भगवान कृष्ण मानव नहीं थे। लेकिन फिर भी वासुदेव एवं उनकी माता देवकी को उनके जन्म के समय अनेक कठिनाइयों का
सामना करना पड़ा। देवकी का भाई कंस देवकी को सबसे अधिक मानते थे। लेकिन एक आकाशवाणी के होने के बाद कंस देवकी और वासुदेव दोनों को बंदी बनाकर काल गृह में डाल दिया। भगवान कृष्ण के जन्म के समय सभी बेड़ियां टूट
गई और द्वारपाल गहरी नींद में सो गए तभी उनके पिता कंस के डर से वसुदेव ने नवजात बालक को रात में ही यमुना पार गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया। गोकुल में उनका लालन-पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक
माता-पिता थे।जब बलराम आये तब प्रभु श्री हरि ने अपनी योग माया शक्ति से उनको वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित करवा दिये थे। बलराम देवकी के गर्भ में आये थे। कंस के अत्याचार से बचने के लिए श्री हरि ने
बलराम को रोहिणी के गर्भ में योग माया से भेज दिया और रोहिणी के गर्भ से बलराम का जन्म हुआ। बलराम मथुरा जिले के बलभद्र स्थान पर जन्मे थे। इस स्थान की मिश्री पूरे
ब्रज में आज भी प्रसिद्ध है। यहां बलभद्र मंदिर में यही प्रसाद रूप में चढ़ाई जाती है। बलराम को शेषनाग का अवतार कहा जाता है। इनके आयुध हल था। इस लिए इन्हें हलधर भी कहते है। यह गदा युद्ध मल्ल युद्ध में प्रवीण थे, विशेषज्ञ
थे। कंस के प्रसिद्ध पहलवान मुस्टिक का वध इन्होंने किया था जबकि चाणूर को श्री कृष्ण नद मार था। सुभद्रा इनकी बहन थी। इनका वंश यदु कुल था। ये सीधे सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। कपट छल से बहुत नफरत करते थे। इन्हें दुर्योधन से बिशेष प्रेम था
कथा श्रवण के समय संयोजक डॉ जनार्दन कुशवाहा, अर्जुन कुशवाहा, रामसेवक यादव, राजेंद्र चौबे, अवधेश कुमार व धनंजय उपाध्याय मौजूद है।