सियासी चक्रव्यूह में फंसे दिग्गज महारथी।

जिला संवाददाता, विनय मिश्र, देवरिया।

 

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में होने वाला मतदान प्रमुख दलों के सियासत के भाग्य का इतिहास लिखेगा। सियासी चक्रव्यूह के फंसे दिग्गज महारथी जाति,

 

धर्म,सम्प्रदाय की व्यूह रचना को भेदने में अपनी अपनी सेना के साथ कितना सफल होते हैं,और प्रमुख दलों के दिग्गजों का लोक लुभावना मंचीय अंदाज मतदाताओं को कहां तक

 

प्रभावित किया और उन्हें जीत की तरफ कितना अग्रसर करता है इसका फैसला आज इवीएम में बंद हो जाएगा। लोक सभा सीट देवरिया,सलेमपुर और बांसगांव सुरक्षित में

 

त्रिकोणीय मुकाबले का आसार बना हुआ है। तीनों संसदीय सीटों पर भाजपा का कब्जा है। देवरिया सीट से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी सांसद हैं, सलेमपुर

 

सीट से पिछड़ों की रहनुमाई करते रहने वाले पूर्व सांसद हरिकेवल प्रसाद के पुत्र रविन्द्र कुशवाहा लगातार दूसरी बार सांसद हैं। बांसगांव सुरक्षित सीट पर हैट्रिक लगाकर अंगद

 

की तरह पांव जमाने वाले कमलेश पासवान लगातार तीसरी बार सांसद हैं। तीनों सीटों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।प्रतिष्ठा दांव पर

 

लगना स्वभाविक भी है, क्योंकि बांसगांव सीट, गोरखपुर जनपद का ही हिस्सा है इसमें परिसीमन के बाद देवरिया जनपद की दो विधान सभा क्षेत्र रुद्रपुर और बरहज सम्मलित

 

है। देवरिया मुख्यमंत्री का आंगन ही है। देवरिया सीट पर भाजपा ने प्रत्येक चुनाव में अपना प्रत्याशी बदला है। भाजपा

 

से तीनों सीटों को झटकने के लिए विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने पक्ष को घेरने के लिए ऐसी व्यूह रचना बनाई है कि सभी महारथी सियासी चक्रव्यूह के चुनावी भंवरजाल में

 

फंस गए हैं। दावे के साथ यह कहना कठिन है कि अमुक पार्टी के उम्मीदवार की जीत आसान है, या अमुक पार्टी का प्रत्याशी बंपर वोटों से चुनाव जीत जाएगा। देवरिया,

 

सलेमपुर व बांसगांव सुरक्षित सीट पर भाजपा, सपा- कांग्रेस गठबंधन और बसपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष बना हुआ है। मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए जिलाधिकारी

 

देवरिया अखण्ड प्रताप सिंह अपनी टीम के साथ लगे रहे,लेकिन मौसम का रुखा मिजाज उसकी गर्माहट हीट वेव मतदान प्रतिशत को प्रभावित कर सकता है।

 

अब देखना यहहै कि हीट वेव के बावजूद प्रमुख दलों के दिग्गजों की सभाओं में लगने वाली अपार भींड क्या अपने नेता को चुनावी नैया पार कराने में हीट वेव पर भारी पड़ेगी या अपना रंग दिखाएगी।

 

देवरिया संसदीय सीट से भाजपा ने एक बार पुनः नये चेहरे को जगह देते हुए पूर्व सांसद लेफ्टिनेंट श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी को मैदान में उतार दिया है।

 

सपा-कांग्रेस गठबंधन ने रुद्रपुर के लोकप्रिय पूर्व विधायक कांग्रेस के प्रवक्ता विपक्ष में रहते हुए विकास कार्यों का कीर्तिमान स्थापित कर सदन में विपक्ष का चहेता बनने वाले

 

अखिलेश प्रताप सिंह को उनके मुकाबले चुनावी मैदान में खड़ा कर दिया है। बसपा ने दोनों के मुकाबले अपने तुरुप का पत्ता फेंका और पूर्व विधायक आनंद यादव के पुत्र संदेश यादव उर्फ मिनिस्टर को मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है।

 

सीधा मुकाबला अब त्रिकोण में बदल गया। सलेमपुर संसदीय सीट पर भाजपा ने अपने सांसद रविन्द्र कुशवाहा को हैट्रिक लगाने के लिए भेज दिया।

 

सपा-कांग्रेस गठबंधन ने रविन्द्र की हैट्रिक रोकने के लिए पूर्व सांसद रमाशंकर विद्यार्थी को मैदान में उतार दिया। बसपा ने यहां भी अपनी चाल को उसी अंदाज में चला और अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को उतार दिया।

 

यहां भी मुकाबला त्रिकोणीय बन गया। बांसगांव सुरक्षित सीट पर हैट्रिक लगाने के बाद चौथी बार सदन में पहुंच कर पूर्व राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता महावीर प्रसाद की

 

बराबरी करने का इतिहास बनाने के लिए भाजपा ने अपने सांसद कमलेश पासवान पर भरोसा जताया। सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यहां भी भाजपा को घेरने के लिए पूर्व मंत्री सदल प्रसाद को प्रत्याशी बना दिया। सदल प्रसाद बसपा के टीकट

 

पर पिछले तीन चुनावों में भाजपा के कमलेश पासवान से पटखनी खा चुके हैं। इस बार वह सपा-कांग्रेस गठबंधन से भाग्य आजमा रहे हैं। बसपा ने डाक्टर रामसमुझ को प्रत्याशी

 

बनाया है। त्रिकोणीय संघर्ष में हर एक दूसरा एक दूसरे के वोटों में सेंधमारी का दावा कर रहा है। उनकी सेंधमारी का प्रयास कहां तक सफल है यह आने वाले चार जून को दिखाई देगा।

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