होली हुड़दंग,अबीर,गुलाल संग
आम्र मंजरी करे बयां यह ।
छा गई ऋतु वसंत बहार ।।
मंजरी से देखो टपक चला है ।
चिप -चिपा ले रस फुहार ।।
शिशिर काल ने ले लिया विदा ।
ऋतु वसंत ने दे दी दस्तक ।
आओ मिल हम प्रेम भाव से ।
अबीर -गुलाल से रंग दे मस्तक।।
चाहे जो भी जाति – धर्म हो ।
सब को गले लगा ले ।
ले उठा अबीर की चुटकी ।
माथे हम टीका लगा दे ।।
ईर्ष्या- द्वेश निकाल दिमाग से ।
खेले मिल हम रंग पिचकारी।।
रंग -गुलाल से लोत- पोत हो ।
हम खूब निभाए यारी ।।
खूशी- उमंग भरा त्योहार है अपना ।
नाचे- गाएं खूब मौज मनाएं ।।
सौहार्द भाव का परिचय देकर।
भाई – चारा हम खूब निभाए ।।
भले त्योहार मनाते हम कइ एक ।
पर होली कुछ अलग है यार ।।
दुश्मन को भी गले लगाकर ।
खुशी का हम मिल करे इजहार।।
हाथ अबीर लिए खड़ा ह्रदयालू ।
उमंग भाव ले खड़ा है द्वार।।
आओ एक,दूजे को गुलाल लगा ।
जश्न मना लें होली त्योहार।।
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सतीश ठाकुर (हृदयालू
वरिष्ठ प्रबंधक (खनन)
हल्दीबाड़ी खान
हसदेव क्षेत्र
एसईसीएल
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आपको सपरिवार पावन पर्व होली की हार्दिक शुभ कामनाएँ !
संजय सिंह बलिया प्रेस
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