UP News:अल्पसंख्यक माइनॉरिटी और कांग्रेस के प्रति शाह नेवाज आलम की कार्य प्रणाली का 4 वर्षी इतिहास
प्रस्तुत कर्ता
रोशन लाल पत्रकार
चार साल पहले आज ही के दिन 4 जनवरी 2020 को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी जी ने उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस की ज़िम्मेदारी दी थी। यह एक अवसर था पूरे प्रदेश के दूर दराज़ के गांवों और क़स्बों तक अल्पसंख्यक समुदाय खास कर मुस्लिम समाज की समस्याओं, उनकी आबादी के समिकरण, उनके अंदर के जातीय और उपजातियों की प्रतिनिधित्व की आकांक्षाओं, बदलते भारत में उनकी आशंकाओं और उम्मीदों को समझने का। इस प्रक्रिया के दौरान समाज पर भरोसा बढ़ता गया। गंभीर और धैर्यवान लोग मिलते गए। कांग्रेस को मजबूत करने के साझे उद्देश्य के साथ।पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिनका सबसे बड़ा सहयोग रहा वो इलाहाबाद की छात्र राजनीति के दिनों के साथी पत्रकार अरविंद शुक्ला का था। वो मेरठ में नौकरी करते थे लेकिन आसपास के ज़िलों में मेरे साथ घूमकर संगठन बनवाया था। कोरोना में उनकी मृत्यु हो गयी। एक और संभावनाशील साथी मेरठ के संजय जैक्सन थे। वो अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव थे और आसपास के ज़िलों में ईसाई समुदाय को पार्टी से जोड़ने के काम में लगे थे। दुर्भाग्य से उनकी भी युवा अवस्था में ही हार्ट अटैक से मृत्यु हो गयी। इन दोनों साथियों का इस सफ़र में बहुत अहम रोल रहा।यह वो दौर भी था जब भाजपा सरकार ने मुसलमानों पर संगठित हमले तेज़ कर दिए। गैर संवैधानिक सीएए-एनआरसी के खिलाफ़ अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन हुए। 22 युवा शहीद कर दिये गए और हज़ारों लोगों को जेल में डाल दिया गया। मैं खुद 18 दिन जेल में रहा। प्रियंका गाँधी के साहसी नेतृत्व में कांग्रेस ने सीएए- एनआरसी विरोधी आंदोलन के दमन का ज़ोरदार विरोध किया। वो हर पीड़ित से मिलने उनके घर गयीं। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने इस पूरे मुद्दे को लीड किया। डॉ कफील खान के न्याय के लिए 15 दिनों का लम्बा अभियान चलाया तो वहीं बिल्किस बानो के मुद्दे पर भी 10 दिनों में 7 लाख हस्ताक्षर इकट्ठे किए। एक हफ़्ते और 10 दिनों के कितने ही अभियान अल्पसंख्यक कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बिना थके, बिना रुके चलाया।दलित समुदाय के बीच अल्पसंख्यक कांग्रेस ने कई अभियान चलाये जिसमें एक अंबेडकर जयंती के दिन दलित और मुस्लिम इफ़्तार का कार्यक्रम भी था। दलितों और मुसलमानों के कांग्रेस के नेतृत्व में एकता सबसे अहम है। पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बदलने की साजिशों और न्यायपालिका के संविधान विरोधी रवैय्यों के खिलाफ़ दर्जनों बार हर ज़िले से अल्पसंख्यक कांग्रेस ने सवाल उठाकर मुसलमानों में संवैधानिक मूल्यों को लेकर जागरूकता लाने का अभियान चलाया।हालांकि न्यायपालिका पर सवाल उठाने का चलन अपने यहाँ नहीं रहा है। लेकिन अल्पसंख्यक कांग्रेस ने यह धारणा तोड़ने की तरफ क़दम बढ़ाया। यह लोकतंत्र को बचाने के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि सरकार अपने एजेंडे को न्यायपालिका के एक हिस्से के सहयोग से ही आगे बढ़ा रही है। आज नहीं तो कल सभी को यह करना ही पड़ेगा। यह सब सबके सहयोग और संगठन के प्रति समर्पण से ही संभव हुआ। आपने या मैंने यह सब नहीं किया। समय की ज़रूरत, समाज और पार्टी के प्रति ज़िम्मेदारी ने हम सब से यह करवाया। उपनिषद कहता है ‘चरैवेति-चरैवेति’। नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना, सतत चलना।