अधिवक्ता बार एसोसिएशन के पदाधिकारियो का शपथ ग्रहण समारोह सम्पन्न 

इन न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता के शपथ ग्रहण समारोह के चलते आवा जाही पर रोक लगने से आम जनता परेशान  बाजार के मुख्य नाका जहा से हास्पिटल, थाना, नपा, व बाजार जाने के मार्ग पा बन्दी से सुबह से शाम साढ़े पांच बजे तक अवरूद्ध    

 

रिपोर्टर अजीत कुमार सिंह बिट्टू जी ब्यूरो चीफ हिंद एकता टाइम्स

रसड़ा (बलिया) अधिवक्ता बार एसोसिएशन के नव निर्वाचित अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारी का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को सम्पन्न हो गया।इसके पूर्व एल्डर कमेटी व अधिवक्ता बार एसोसिएशन की बैठक बिते मंगलवार को सम्पन्न होने के पश्चात नये चुने गये अध्यक्ष व महासचिव अन्य पदाधिकारी का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को सिविल न्यायालय (मुंसफी कोर्ट)के परिसर में होना सुनिश्चित रहा जिसे सिविल न्यायालय परिसर में साज सज्जा व तमूकनात से सजा कर शपथ मंच सजाया गया था शपथ ग्रहण समारोह लगभग लगभग दोपहर बाद से अधिवक्ता बार के पदाधिकारी सुसज्जित मंच पर शपथ लेने के लिए एकत्रित होने लगे और लगभग एक डेढ़ बजे शपथ कार्यक्रम में मंचासीन अधिवक्ता परिसर में संगठन के सन्दर्भ में सम्बोधन कर रहे थे संचालन कर्ता बीच बीच में वक्ताओ को जिला जज के आने तक मंच पर सम्बोधन के लिए आमंत्रित करते रहे जिला जज उपस्थित होने पर अधिवक्ताओ ने शपथ कार्यक्रम शुरू किया और सायं पांच बजे तक शपथ ग्रहण कार्य चला उसके बाद जिला जज अधिवक्ता के उठने बैठने उनके अन्य सुविधाओ का अवलोकन व निरीक्षण करने के पश्चात लाइब्रेरी का उद्घघाटन करने के बाद चले गए। इसके पूर्व जिला जज व अविवक्ताओ के शपथ ग्रहण के सुरक्षा लिए पुलिस चौवद्ध रही। जिससे पुलिस की व्यवस्था चौकस रहने केसर कारण नगर के मुंसफी तिराहे चौराहे पर आने जाने वालो की संसाधन पर रोक लगा दिया गया जिसे वह जिस रास्ते से आते उसे उसी रास्ते से पुलिस की कड़ाई रोकथाम से उन्हें वापस जाना पड़ता दोपहिया चार पहिया वाहन ई-रिक्सा का भी आवाजाही बन्द कर दिया गया था मरीज को अस्पताल लेकर जाने वाले परेशान दिखे यहां तक की रोजमर्रा के जीवन यापन करने वाले फुटपाथी जीवन कुछ समान बेच कर जीने खाने वालो ठेला खोमचा पर चाट-फुलकी फल-फूल बेचने वाले की दुकान जब तक डिस्ट्रिक्ट जज जिला न्यायाधीश गया नहीं तबतक पुलिस वाले उनके दुकान नही लगने दिया सबसे विशेष बात यह रही की सिविल कोर्ट के बाउंड्रीवाल तो है नहीं, किन्तु अन्य व्यवस्था से उसे घेर कर रखा है के सटे फल की दुकान खुली रहती थी अन्य दिन की अपेक्षा अपनी दुकान प्लास्टिक से ढक बन्द किये रहे जब की अन्य दिन वे खोल फल बेचते है और पुलिस से लेकर न्यायालय कर्मी या न्यायालय के भी इन फल बेचने वाले दुकानदार से कुछ दुकानदार लगाने के एवज मे कुछ लेते होगें या फल का आनन्द लेते होगे या शाम को जाते समय झोला भर कर ले जाते होगे जिससे इन फल बिक्री करने वाले के दुकान हटाया नही जा रहा है। जब कि सिविल कोर्ट के न्यायाधीश के समक्ष मुसंफी चौराहे पर अतिक्रमण के नाम पर हटाया नहीं जा रहा है। कहने का तात्पर्य यह की अंग्रेज तो चले गये लेकिन वे शासन से लेकर प्रशासन व न्यायालय तक छाप छोड़ गये। वैसे देश आजाद हो गया लेकिन आज भी कोई नेता मंत्री बिधायक सांसद या सरकारी आला पद पर आसीन अधिकारी (नौकरशाह) किसी कार्यक्रम में आता है चाहे वह डीएम एस पी कमिश्नर या अन्य सरकारी नौकरशाह या जज हो या कोई उच्च पदेन सरकारी सर्वेन्ट हो पुलिस बल लगा कर अंग्रेजियत लागू (डिक्टेटरशिप) लागू हो जाता है जिससे आजादी के बाद भी आम जनता गुलामी की तरह अपने संसाधन से जहां कार्यक्रम चल रहा हो आ जा नही सकते, ये आ जाय तो रास्ता बन्द कर दिया जाता है इनका कार्यक्रम जब तक खत्म न हो जाय, आवा जाही नही हो सकता यह नजारा मुंसफी न्यायालय बाजार के नाका पर स्थापित है देखने को मिला है। बाजार जाने का मुख्य मार्ग है यानी मुसंफी चौराहा पर देखने को मिला आज भी स्थिति यह की आजाद देश के गुलाम नागरिक आज भी सफेद पोसो व सरकारी नौकरशाहो के आने पर उस स्थान पर इनके लिए लगी सुरक्षा के लिए पुलिस बल के माध्यम से आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है जिससे यह आप को यह महसूस होगा की गुलामी की प्रथा से बंचित नही है।

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