विश्वकर्मा पूजा 2024 : भगवान विश्वकर्मा ने द्वारका नगरी का किया था निर्माण, जानें पूजा का महात्म्य
Vishwakarma Puja 2024: Lord Vishwakarma built the city of Dwarka, know the significance of the puja
नई दिल्ली:। विश्वकर्मा पूजा को विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू त्योहार ब्रह्मांड के वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है।
कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। ऐसे में हर साल विश्वकर्मा जयंती का पर्व कन्या संक्रांति के दिन मनाये जाने का विधान है। इस साल 2024 में विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर, सोमवार को मनाया जाएगा। हालांकि उदया तिथि के अनुसार इसे 17 तारीख को भी कई जगहों पर मनाया जाएगा।
वहीं बंगाली कैलेंडर के अनुसार इस त्यौहार को भाद्र संक्रांति के दिन मनाया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा पूरे भारत में शिल्पकारों, वास्तुकारों, इंजीनियरों और मैकेनिकों द्वारा बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकला और यांत्रिक कार्य के देवता के रूप में इस दिन पूजा जाता है। यह पूजा उन श्रमिकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो अपने दैनिक कार्य में औजारों और मशीनों पर निर्भर हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन उपकरणों की पूजा करने से सफलता मिलती है और उनका सुचारू संचालन सुनिश्चित होता है।
निर्माण और सृजन के उत्सव के तौर पर विश्वकर्मा पूजा का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। विश्वकर्मा जयंती का उल्लेख प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों में पाया जाता है। सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जो हिंदू धर्म के सबसे पुराने पवित्र ग्रंथों में से एक है।
समय के साथ इस त्योहार को मजदूरों, कारीगरों और शिल्पकारों ने पारंपरिक पूजा के तौर पर अपना लिया। यह समाज के विकास और प्रगति में कुशल श्रमिकों के महत्व पर प्रकाश भी डालता है।
यह पर्व लोगों को एक साथ लाता है और विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवरों के बीच एकजुटता की भावना को बढ़ाता है। कई जगहों पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति रखी जाती है और लोग भक्ति के साथ उनकी पूजा करते हैं।
मान्यता के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। साथ भी यह भी किंवदंती है कि सोने की लंका भी उन्होंने ही बनाई थी। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने देवताओं के लिए शक्तिशाली हथियार भी बनाए थे। उन्होंने भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और यमराज का कालदंड, पुष्पक विमान और महादेव के त्रिशूल का भी निर्माण किया था।