मस्तिष्क क्षय रोग के उपचार में सुधार के लिए अनूठी दवा वितरण विधि

Unique drug delivery method to improve treatment of brain tuberculosis

नई दिल्ली: भारत के रिसचर्स ने सीधे मस्तिष्क तक टीबी की दवा पहुंचाने का एक अनूठा तरीका बनाया है। यह अनूठी दवा वितरण विधि मस्तिष्क की टीबी का प्रभावी ढंग से उपचार कर सकती है। दिमाग की टीबी उच्च मृत्यु दर के साथ जीवन के लिए एक गंभीर स्थिति उत्पन्न करती है। टीबी जब मस्तिष्क को प्रभावित करती है, उसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम टीबी (सीएनएस- टीबी) कहा जाता है। यह टीबी के सबसे गंभीर रूपों में से एक है, जो अक्सर गंभीर जटिलताओं या मृत्यु का कारण बनता है।

सीएनएस-टीबी के उपचार में सबसे बड़ी चुनौतियों रक्त-मस्तिष्क अवरोध (बीबीबी) ​​नामक एक सुरक्षात्मक अवरोध है। यह टीबी की दवा को मस्तिष्क तक पहुंचने में बाधा डालता है। यह अवरोध कई दवाओं को मस्तिष्क में प्रवेश करने से रोकता है, जिससे उनकी प्रभावशीलता सीमित हो जाती है। पारंपरिक उपचारों में मौखिक एंटी-टीबी दवाओं की उच्च खुराक शामिल होती है, लेकिन ये अक्सर बीबीबी के कारण विफल हो जाती हैं।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों ने इस संबंध में एक नई रिसर्च की है। रिसर्च के मुताबिक टीबी की दवाइयों को बीबीबी के बिना नाक के माध्यम से सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाने के लिए चिटोसन नामक एक प्राकृतिक पदार्थ से बने सूक्ष्म कणों का उपयोग किया गया है। यहां राहुल कुमार वर्मा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने चिटोसन नैनो-एग्रीगेट्स विकसित किए। ये चिटोसन से बने नैनोकणों के छोटे समूह हैं, जो एक बायोकम्पैटिबल और बायोडिग्रेडेबल पदार्थ हैं।

इन छोटे कणों को नैनो कणों के रूप में जाना जाता है, फिर उन्हें नैनो-एग्रीगेट्स नामक थोड़े बड़े समूहों में बनाया गया, जिन्हें नाक से आसानी से पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। वे आइसोनियाजिड (आईएनएच) और रिफैम्पिसिन (आपआईएफ) जैसी टीबी दवाओं को नियंत्रित कर सकते हैं। दवा वितरण तकनीक का उपयोग नाक से मस्तिष्क (एन2बी) दवा वितरण के लिए किया गया था, जो बीबीबी को बायपास करने के लिए नाक गुहा में घ्राण और ट्राइजेमिनल तंत्रिका मार्गों का उपयोग करता है।

नाक के रास्ते से दवा पहुंचाने से, नैनो-एग्रीगेट दवाओं को सीधे मस्तिष्क में पहुंचा सकते हैं, जिससे संक्रमण स्थल पर दवा की जैव उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार होता है। इसके अलावा, चिटोसन अपने म्यूकोएडेसिव गुणों के लिए जाना जाता है। यह नाक के म्यूकोसा से चिपक जाता है, जिससे नैनो-एग्रीगेट्स को अपनी जगह पर स्थिर रहने में सहायता मिलती है और दवा को छोड़ने का समय बढ़ जाता है, जिससे इसकी चिकित्सीय प्रभावशीलता बढ़ जाती है।

प्रयोगशाला में परीक्षण किए जाने पर, ये कण नाक के अंदर अच्छी तरह से चिपक गए। ये नियमित टीबी दवाओं की तुलना में कोशिकाओं में बहुत अधिक दवा पहुंचाने में सक्षम थे। टीबी से संक्रमित चूहों पर नए उपचार का परीक्षण किया गया। इन नैनो-एग्रीगेट्स को नाक से वितरण ने बिना उपचार वाले चूहों की तुलना में मस्तिष्क में बैक्टीरिया की संख्या को लगभग 1,000 गुना कम कर दिया। यह अध्ययन इस प्रकार का पहला अध्ययन है कि इन उन्नत कणों का उपयोग करके नाक के माध्यम से टीबी की दवा पहुंचाने से मस्तिष्क टीबी का प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है।

संस्थान का कहना है कि नया उपचार न केवल यह सुनिश्चित करता है कि दवा मस्तिष्क तक पहुंचे बल्कि संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद करता है। नैनोस्केल (रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री) पत्रिका में प्रकाशित इस खोज में मस्तिष्क टीबी से पीड़ित लोगों के उपचार में काफी सुधार करने की क्षमता है और यह तेजी से स्वस्थ होने में सहायता कर सकता है। इसका उपयोग मस्तिष्क में दवा की प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित करके अन्य मस्तिष्क संक्रमणों, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों (जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस), मस्तिष्क ट्यूमर और मिर्गी के उपचार में भी किया जा सकता है।

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